अर्थशास्त्र और फिर मानव संसाधन प्रबंधन (HRM) में महाराजा सयाजीराव विश्वविध्यालय, वड़ोदरा से शिक्षा ली और फिलहाल HR Services से ही जुड़ा हुवा हूँ.
अब तक की जिंदगी संघर्षों, मजबूरियों, समझौतों और दुखों से लड़ते हुवे बीती है. बहुत कुछ खोया है, अगर कुछ पाया है तो वो है कुछ अदभुत दोस्त जो शायद जीने का हौसला प्रदान करते हैं.
ज़िन्दगी से रोज़ कुछ नया सिख रहा हूँ, और सीखते रहना चाहता हूँ. संगीत खासकर तबला एवं ढोलक वादन में बेहद रूचि है पर दुर्भाग्यवस अभी तक सम्पूर्ण तालीम नहीं ले पाया हूँ. यदपि कोई भी ताल सुनने पर बजा लेने का दुसाहस जरुर करता हूँ, उस वक़्त ये भूल जाता हूँ की क्या बजा रहा हूँ:-)
कविता बस मजाक-मजाक में लिखी और फिर मित्रों की हौसलाफजाई से रूचि बढ़ी...कोशिश में हूँ की अलग अलग शैलियों, विषयों में कुछ नया कुछ खुद को सन्तुष्ट करने वाला लिख सकूं...चिट्ठे ने (Blog) इस रूचि को और रोचक बना दिया है, प्रतिक्रियाएं, सुझाव काफी सिखने में मदद करते हैं... .
कुछ पंक्तियाँ खुद ही पर लिखी गयी....
पूरब-उत्तर, पश्चिम-दक्षिण,
हर दिशा-प्रदेश, शहर कई
'प्रकाश' ये बढ़ता रहा सदा
मंद हूवा, कभी पर थमा नहीं