ये कविता केवल महिलाओं के लिए, उन्ही को समर्पित।
मानव संसाधन (Human Resources( में कार्यरत एक दोस्त ने 'महिला दिवस' पर अपने साथ कार्य करने वाली महिलाओं को साझा करने के लिए कोई कविता मांगी, कुछ तैयार था नहीं पर जो हो पाया वही उन्हें भी भेज दिया, आप को भी पढ़ा ही देते हैं:-) पर ध्यान रहे सिर्फ एक दिन मनाने भर से काम नहीं चलेगा, हर दिन ही एक उत्सव हो उनके होने का, हर दिन त्यौहार हो ..वो क्या है न कि कई बार बड़ी देर हो जाती है ये समझ पाते-पाते .. आइये कविता पढ़ें .
तुझसे ही पहले शब्द मिले
तेरे ही सारे संस्कार ये है
तेरा होना ही एक उत्सव है
तू है तो हर दिन त्यौहार है
है रूप अनेकों तेरे हैं
तेरे ही रंगों से संसार चले
तुझसे ही घर, घर बन पाए
तुझसे ही तो परिवार जुड़े
तू ही प्रेरणा, तू ही लगन
तू आस्था, तू ही अनुशाषन
ममता, स्नेह व् प्रेम तू ही
तू ही साहस, तू ही संयम
तुझमे सपनो का दरिया
है हौसलों की पतवार तू ही
तुझसे ही पाया जीवन है
तेरे होने से ही है जीवन ही
तेरा होना ही एक उत्सव है
तू है तो हर दिन त्यौहार है
Theme/Subject by: Shubhangini Vatturkar
Image: Google से साभार
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