हम सब न जाने कितनी ही कहानियां, अनुभव, दर्द , चिंताएं आदि लिया फिरते हैं। जिसे किसीसे बांटना चाहते हैं, बताना चाहते हैं। पर किसे? हर बात हर किसीसे तो नहीं कही जाती न ? आप कहेंगे किसी अपने से, पर अपने-अपनों में भी नाना प्रकार के भाव निकलते हैं (क्या सोचेंगे, क्या समझेंगे, क्रोधित होंगे, वगेरह वगेरह) । इसी चक्कर में एक भोज बढ़ता जाता है जिससे एक तरह का डिप्रेशन भी जन्म लेता है।
जापान में तो अकेलापन इस कदर हावी हुवा की हर कोई ग्रस्त है। एक युवा (Takanobu Nishimoto) ने इस समस्या का समाधान निकाला और बाकायदा एक व्यवसाय बना डाला (Ossan - Rent men), इनके सदस्य आपको बड़ी आत्मीयता से सुनते हैं, इनसे आप कुछ भी बात कर सकते है, कह सकते हैं, बिना किसी जिझक और चिंता के। बदले में इन्हें एक घंटे का लगभग एक डॉलर प्राप्त होता है। भारत में ये सुविधा मैं सुरु करना चाहूंगा, कृपया संपर्क करें:-) कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष छूट :-).
चलिए कविता पढिये और खुल कर बतियाना शुरू कर दीजिये बस ..
हर किसी के मन में
है इक पिटारा भरा हुवा
मुश्किल ये है की
खुल कर बात होती नहीं
किसे है वक़्त फुरसत वाला
कहाँ धीरज ही है सुनने की,
समझने की
जैसी चाहिए वैसी
मुलाक़ात होती नहीं
मुश्किल ये है की,
खुल कर बात होती नहीं ..
इक झिझक सी हैं कहीं
कहने में, बताने में
क्या सवाल होंगे
क्या सोचेंगे, क्या समझेंगे
क्या प्रतिक्रिया होगी
झुंझलाहट ये
समाप्त होती नहीं
मुश्किल ये है की,
खुल कर बात होती नहीं ..
डर भी है बना
हर पर्सनल वाली बात पर
कहीं ये बातों-बातों में
फैलेगी तो नहीं
इस भरोसे के कहीं
कागजात होते नहीं
मुश्किल ये है की,
खुल कर बात होती नहीं ..
और वो बिन मांगे मिलनेवाली
सलाह हर बात में
हर बात के अनुपात में
किसी भी विषय में क्यों हम
अज्ञात होते नहीं ?
मुश्किल ये है की,
खुल कर बात होती नहीं ..