अमीरी दिलों-रिश्तों में हो तो कुछ बात है
कोठी-जायदादों में भला क्या रक्खा है
सम्बन्धो में बनना-बिगड़ना लगा रहता है
प्यार ढूंढिए आपने आपमें ही छुपा रक्खा है
फ़ोन- इंटरनेट से चले; संपर्क हेंग ही हुवे
दिखावटी इस सोसियलपने में क्या रक्खा है
राजनीति वादों से ही है चलती रही सदा
फ़िज़ूल उम्मीदों को सबने बनाये रक्खा है
भ्रष्ट को ही ट्रस्ट आप बस करते जाइए
इन आदतों को हमने ही बढ़ा रक्खा है
एक अरसे से कर(tax) भरकर भी न विकसित हुवे
इस ईमानदारी को मुश्किल से बनाये रक्खा है
उदाहरण कुछ करके दीजिये, लोग बेहतर समझेंगे
सलाह-मश्वरे कोरी बातें हैं, बातों में भला क्या रक्खा है
शब्दार्थ:
हैंग (Hang) - रुकावट, अटक जाना का अंग्रेजी शब्द (आजकल आम समस्या है :-) )
सोसियलपना - अधिक सामाजिक होने के दिखावा जो केवल यांत्रिक है (नया प्रायोगिक शब्द अंग्रेजी मिलावट के साथ),
करीब एक साल बाद कुछ शब्द-प्रयोग हुवा। कैसा लगा बताइयेगा ?
1 comments:
वाह .. क्या बात है ... बहुत लाजवाब व्यंग है ... हर शेर चुटीला ...
Post a Comment
Your comments/remarks and suggestions are Welcome...
Thanks for the visit :-)