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Tuesday, April 22, 2014

ये नेता है, रंग बदलेंगे

ये नेता है, रंग बदलेंगे 

कुछ चुनावों से पहले 

कुछ चुनावों के बाद. 
कभी चुनावी साथी
कभी संग बदलेंगे 
ये नेता है, रंग बदलेंगे 

कुछ मौन रह कर 
तो कुछ बकबका कर, 
कुछ बस नौटंकियों से
देश का ढंग बदलेंगे 
ये नेता है, रंग बदलेंगे 

जाति-धर्म में बांटेंगे  
इतिहास नए सुनाएंगे, 
लुभावने से वादे देकर 
जनता को बस ठग लेंगे 
ये नेता है, रंग बदलेंगे 

कोशिश इस बार करें  
सोचें-जानें-समझें फिर चुनें 
वर्ना फिर इनका क्या है 
नस्ल गिरगिटिया, रंग बदलेंगे 
ये नेता है, रंग बदलेंगे 

10 comments:

Udan Tashtari said...

Behatreen!!

vishwa said...

perfect for the current political scenario...

दिगम्बर नासवा said...

आज कि राजनीति को बाखूबी उतारा है ...
लाजवाब ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बिलकुल ये रंग बदलेंगें ...यही तो करते आये हैं अब तक .....

Shashank said...

Nice one mate... Its the irony of our country... :(

संजय भास्‍कर said...

ओह। ………… गहरी संवेदना समेटे है आपकी ये रचना

आशा बिष्ट said...

बहुत सही
बदलेंगे नही तो नेता कैसे कहलायेंगे??

Alka Gurha said...

So true. Maza aa Gaya, Hindi kavita padh kar. Sad state of affairs though.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



☆★☆★☆



कोशिश इस बार करें
सोचें-जानें-समझें फिर चुनें
वर्ना फिर इनका क्या है
नस्ल गिरगिटिया, रंग बदलेंगे
ये नेता है, रंग बदलेंगे

वाह वाऽह…!

बंधुवर प्रकाश जी
चेतावनी देती हुई रोचक कविता है
बधाई !

मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार


Madhulika Patel said...

बहुत सच लिखा है आप की कविता में |

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