ये नेता है, रंग बदलेंगे
कुछ चुनावों से पहले
कुछ चुनावों से पहले
कुछ चुनावों के बाद.
कभी चुनावी साथी
कभी संग बदलेंगे
ये नेता है, रंग बदलेंगे
कुछ मौन रह कर
तो कुछ बकबका कर,
कुछ बस नौटंकियों से
देश का ढंग बदलेंगे
जाति-धर्म में बांटेंगे
इतिहास नए सुनाएंगे,
लुभावने से वादे देकर
जनता को बस ठग लेंगे
ये नेता है, रंग बदलेंगे
कोशिश इस बार करें
सोचें-जानें-समझें फिर चुनें
वर्ना फिर इनका क्या है
नस्ल गिरगिटिया, रंग बदलेंगे
ये नेता है, रंग बदलेंगे
10 comments:
Behatreen!!
perfect for the current political scenario...
आज कि राजनीति को बाखूबी उतारा है ...
लाजवाब ...
बिलकुल ये रंग बदलेंगें ...यही तो करते आये हैं अब तक .....
Nice one mate... Its the irony of our country... :(
ओह। ………… गहरी संवेदना समेटे है आपकी ये रचना
बहुत सही
बदलेंगे नही तो नेता कैसे कहलायेंगे??
So true. Maza aa Gaya, Hindi kavita padh kar. Sad state of affairs though.
☆★☆★☆
कोशिश इस बार करें
सोचें-जानें-समझें फिर चुनें
वर्ना फिर इनका क्या है
नस्ल गिरगिटिया, रंग बदलेंगे
ये नेता है, रंग बदलेंगे
वाह वाऽह…!
बंधुवर प्रकाश जी
चेतावनी देती हुई रोचक कविता है
बधाई !
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सच लिखा है आप की कविता में |
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