पल्लवी और अजय की अभी - अभी कुछ
महीनो पहले ही शादी हुई थी। संयुक्त परिवार में सास- ससुर, भाई-भाभी और उनके बच्चों के बीच वो खुद को ढालने कि कोशिश
कर रही थी। कुछ दिनों से अजय की तबियत ठीक नही थी । कई डॉक्टरों को दिखाने पर भी कुछ ख़ास फर्क नहीं हो
रहा था।
शहरों में दूर के रिश्ते भी बड़े करीब के हो जाते हैं, बस ऐसा ही कुछ
करीबी रिश्ता हमारे परिवारों में भी था।
कल ही संजय भैया, अजय के बड़े भाई का फ़ोन आया था और बता रहे थे। शाम को मैं घर पहुंचा तो सब जानने मिला। "कितनी बार कहती थी बाहर का खाना-पीना कम कर दे, पर मेरी कौन सुनता है।" माँ के गुस्से में चिंता साफ़ दिख रही थी। अजय वहीँ पास में सो रहा था, काफी कमजोर पड़ गया था। संजय भैया से थोड़ी देर बात हुई, और फिर मैं घर कि और रवाना हुवा।
कल ही संजय भैया, अजय के बड़े भाई का फ़ोन आया था और बता रहे थे। शाम को मैं घर पहुंचा तो सब जानने मिला। "कितनी बार कहती थी बाहर का खाना-पीना कम कर दे, पर मेरी कौन सुनता है।" माँ के गुस्से में चिंता साफ़ दिख रही थी। अजय वहीँ पास में सो रहा था, काफी कमजोर पड़ गया था। संजय भैया से थोड़ी देर बात हुई, और फिर मैं घर कि और रवाना हुवा।
दो दिन बाद सुबह-सुबह फ़ोन आया ‘हेल्लो ! आज कॉलेज से
छुट्टी ले सकते हो क्या ? थोडा काम है, अजय को
हॉस्पिटलाइज़े किया है; दुकान पर भी आदमी छुट्टी पर है बस आज के लिए आ जाओ।‘ ना कह पाने का कोई विकल्प नहीं था। ‘ठीक है, आता हूँ थोड़ी देर
में।‘ फटाफट तैयार होकर उनकी दुकान के लिए निकला, रास्ते में मैं सोच रहा था 'आज का कॉलेज का बंक किसी के काम आएगा वर्ना अक्सर तो यूँ ही
यार-दोस्तों में, फिल्म देखने और घूमने-फिरने में
चला जाता है।
दुकान पहुंचते ही मैं और संजय हॉस्पिटल रवाना हुवे। "आप रुकिए यहाँ, डॉक्टर कि विजिट का टाइम है मैं होकर आता हूँ", संजय ने पिताजी से कहा। डॉक्टर विजिट को निकल चुके थे, चैम्बर खाली देख हमने अंदाज़ा लगाया। हॉस्पिटल में
चहलकदमी बढ़ गयी थी, रूम तक पहुंचे तो डॉक्टर अजय कि जांच कर रहे थे, उनके साथ असिस्टेंट डॉक्टर्स, नर्स आदि का पूरा
काफिला था। "कुछ टेस्ट लिखे हैं, अभी करवा लीजिये, रिपोर्ट के साथ शाम को मिलिए" डॉक्टर ने संजय से कहा।
सिस्टर ने ब्लड बैंक में फ़ोन कर दिया।
पल्लवी अजय के बेड क पास ही बैठी थी , मैं बहार आ गया। संजय फ़ोन पर थे मैं सजनी भाभी (संजय कि
पत्नी) के पास बैठ गया और बिना विलम्भ किये क्या हुवा जानने कि कोशिश की। 'अच्छा हुवा आप आ गए, संजय काफी अकेले
पद गए थे, दो दिन से दस्त और उल्टियां हो रही थी, खांसी और कफ भी इतना हो रहा है, कल तो रात भर यही चला इसलिए आज सुबह यहाँ लाये और डॉक्टर ने
देखते ही एडमिट कर दिया, दो बोतल चढ़ बाये हैं।' वो पूरा एक सांस
में केह गयी।
तभी लैब अटेंडेंट आ गया, उसने ब्लड सैम्पल्स कलेक्ट किये और मुझे रसीद देकर शाम को कलेक्ट करने को कहा। भाभी ने पूछा कौन-कौन से
टेस्ट करवाये हैं, हेमोग्लोबिन तो कम ही आएगा, कहीं चिकनगुनिया न हो जाए आज कल रोज पेपर में आ रहा है।
संजय ने मुझे भाभी को घर ड्रॉप करने को कहा। पुरे दिन घर, दुकान और हॉस्पिटल के चक्कर चलते रहे।
शाम को रिपोर्ट लाने मुझे ही जाना था, मैंने रिपोर्ट कलेक्ट की और
जिज्ञासापूर्वक खुले लिफ़ाफ़े से रिपोर्ट निकाली। अटेंडेंट ने दस्तखत करने को कहा और पूछा पेशेंट कौन है? मैं इस सवाल को
समझ नहीं पाया, ज्यादातर मरीज कौन है ऐसा कोई पूछता नहीं। रिपोर्ट
देखते ही मैं चौंक गया HIV Antibody Test - Reactive/ +ve… मैं बस वहीँ बैठ
गया और कुछ समझ नहीं पा रहा था तभी फ़ोन बजा 'कहाँ हो, रिपोर्ट मिली? क्या आया देखो
जरा? तुम्हे थोडा समझ आ जाएगा, मुझे तो अंग्रेजी आती नहीं।' हाँ भैया, बस आता हूँ ! सब नॉर्मल ही लग रहा है...मैंने फ़ोन पर कुछ
बताना उचित नहीं समझा।
हॉस्पिटल
पहुँचते ही ‘चलो जल्दी, डॉक्टर साहब से मिल लेते हैं, मेरे ना चाहते
हुवे भी वो मुझे चैम्बर
में ले गए। रिपोर्ट्स देख डॉक्टर ने कहा एक टेस्ट पॉजिटिव आया है लेकिन रिकन्फर्म
करने के लिए बड़े एडवांस लैब से भी एक रिपोर्ट करवा लेते है। सर, डू यू सजेस्ट फॉर पल्लवी टू? मैंने पूछा। ओ यस, आई वाज कमिंग ऑन
देट. उनका भी करना है मैं लिख देता हूँ, मेडिकल स्टूडेंट ? उन्होंने मुझसे पूछा, 'नहीं थोडा बहुत पता है इस बारे में' मैंने उत्तर दिया और हम दोनों बहार आ गए।
माहोल और भी चिंताजनक हो गया था। 'तुम तो केह रहे थे सब नॉर्मल है, क्या आया है देखो जरा ध्यान से ! और ये पल्लवी का टेस्ट
क्यूँ करना है ?... मैं समझ नहीं प् रहा था कि संजय को कैसे बताऊँ। मैं लैब वाले को बुलाने का बोल के आता हूँ आप
अजय के पास चलिए, वहीँ बैठते हैं।
वहाँ से निकला तो सामने सजनी भाभी आते दिखे, 'क्या आया रिपोर्ट में ? चिकनगुनिया तो
नहीं है न? जो भी आया है बताइये, संजय भी कुछ बता
नहीं रहे ..प्लीज भैया, और ये पल्लवी का
टेस्ट क्यूँ कर रहे हैं.. उनसे छुपा पाना मुश्किल था इसलिए वहीँ पास बिठा कर मैंने
रिपोर्ट बताया। उन्हें समझने में देर न लगी फिर भी खुद को सँभालते हुवे, दूसरी रिपोर्ट में नेगेटिव आ जाए भगवान् ! पर ये हुवा
कैसे? मैंने पूछा इधर में खून चढ़ा था क्या कभी, उससे इन्फेक्शन आ
सकता है? 'नहीं मेरी शादी के बाद तो अजय पहली बार इतना बीमार हुवे हैं, पहले का पता नहीं।' अभी वाली रिपोर्ट
तो सुबह ही आएगी, तब ही पता चलेगा कुछ।
सुबह लैब ऑफिस से मैंने रिपोर्ट ली और तुरंत पेपर्स देखने लगा ..ये रिपोर्ट भी
पॉजिटिव ही थी। दूसरी रिपोर्ट पल्लवी भाभी की थी, HIV Antibody Test Result : Reactive/ +Ve...
अजय अक्सर घर देरी से आते, खाने-पीने का
बेहद सौखीन, डेली फाइनेंस व् डेली कलेक्शन का काम करता था इसलिए ज्यादातर घूमता ही रहता था। यार
दोस्ती भी काफी थी, ज्यादातर अड्डेबाजी ही करते थे। एक-दो बार
मैंने नाईट शो मूवी से घर जाते हुवे ऐसे ही दोस्तों
के साथ देखा था। याद आ रहा था एक बार कुछ लड़कियां भी थी उन सब के साथ में। मैं सब कुछ रिलेट करने कि कोशिश कर रहा था। कई
सवाल घूम रहे थे दिमाग में...
कॉलेज में और कुछ एन.जी.ओ के साथ मैं कई बार एच आई वी / एड्स अवेरनेस स्किट्स
में भाग ले चूका था इसलिए रोग के बारे में पूरी जानकारी थी पर करीबी कोई इससे
ग्रसित होगा ये नहीं मान पा रहा था। लैब से हॉस्पिटल का रास्ता इसी सब सोच में चला गया।
सजनी भाभी ने दूर से मुझे देखा , मुझे देख कर ही मानो वो समझ गयी पर फिर भी उन्होंने पूछा .. पॉजिटिव ? मैंने कहा दोनों
की पॉजिटिव ... पल्लवी की भी ? आंसुओं को रोक
पाना मुश्किल था।
डॉक्टर ने रिपोर्ट पर संजय से बात की, उन्हें दोनों कि रिपोर्ट सुनते ही चक्कर आ
गया, थोडा सम्भल कर वो बैठ गए। देखिये पल्लवी को अभी विंडो
पीरियड में है इसलिए जल्दी कंट्रोल में आ जायेगा, पर अजय को थोडा वक़्त लगेगा। दूसरा इस रोग का प्राइवेट
हॉस्पिटल में इलाज काफी महंगा पड़ेगा आप चाहें तो गवर्नमेंट ऐडेड ट्रीटमेंट करवा
सकते हैं, आप सोच लीजिये वहाँ भी ट्रीटमेंट अच्छा ही होगा चिंता
कि कोई बात नहीं है।
थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने अजय और पल्लवी को मिले 'देखिये आप दोनों का रिपोर्ट एच आई वी पॉजिटिव आया है, यह एक वायरस है
जो कि खून के इन्फेक्टेड होने पर पाया जाता है, आम भाषा में इसे
एड्स भी कहते हैं। इलाज सम्भव है और आप एक सामान्य
जीवन जी सकते हैं, हाँ कुछ ख़ास बातें
ध्यान रखें .. परहेज और नियमित जांच, दवा से सब कुछ नियंत्रित रह सकता है…आप अब फेमिली नहीं प्लान कर सकते, ऐसा अक्सर पाया जाता है कि संतान भी इस वायरस से एफेक्ट
होती है। शारीरिक सम्बन्ध जहाँ तक हो न बनाये और कंडोम का इस्तेमाल करें।
कभी भी किसी को खून न दें इससे ये वायरस औरों में फ़ैल सकता है। एक दूसरे का ध्यान
रखिये, एक-दो टेस्ट और करवाने हैं उसके बाद दवाई शुरू
करेंगे। पल्लवी भाभी पर मानो आसमान फट गया हो, हर तरफ बस आंसू बह रहे थे।
आंसुओं के साथ सवाल हर किसी के
चेहरे पे थे, आखिर ये हुवा कैसे, क्या कारण होगा ? सजनी भाभी को न जाने कहाँ से मेरी ‘खून लिया था क्या’ वाली बात याद आयी और मुझे बहार ले जाकर पूछा और किस कारण से होता है ये रोग ? मुझे नहीं पता, मैंने टालने कि कोशिश की, बताता भी कैसे और
क्या .. वे बस मुझे देखती रही।
'तीन कारणो से ये रोग ज्यादातर होता है: असुरक्षित यौन
सम्बन्ध, इन्फेक्टेड नीडल से खून लेने/
इन्फेक्टेड पेशेंट का खून ले लेने पर, या फिर जन्म के
समय माता या पिता का इन्फेक्टेड होने पर' किसी न किसी को
बताना जरूरी था ये सोच मैं तेजी से सब बोल गया। पर सवाल अब थमने वाले नहीं थे 'मतलब पल्लवी से अजय को हुवा ? मैंने तुरंत कहाँ
नहीं वैसा तो नहीं हो सकता क्यूंकि उन्हें अभी इनिशियल स्टेज पे है। शायद वो और भी
कुछ पूछती पर रोकते हुवे मैंने पल्लवी भाभी को सँभालने को कहा वे रोये जा रही थी।
शाम होते-होते दूसरे टेस्ट रिपोर्ट भी आ गए और ट्रीटमेंट
शुरू हुवा। आप लोग घर हो आइये थोडा आराम कर लीजिये मैंने संजय भैया और सजनी भाभी
को कहा, मैं यहाँ रुकता हूँ ..वे जा नहीं रहे थे, किसी तरह उन्हें घर भेजा। मैं भी बुरी तरह थक गया था इसलिए
वही रूम के बहार बैठ गया, घर पर फ़ोन कर साड़ी बात बतायी और दूसरे मिस्ड कॉल्स, मेसेज देखने लगा। तभी पल्लवी भाभी बहार आयी , मैं उन्हें देखते ही पूछा कोई प्रॉब्लम भाभी ? आपसे एक बात पूछनी है, उन्होंने कहा और
मेरे पास बैठ गयी। मैं सोच रहा था आखिर मैं रुका ही क्यूँ, अब और सवाल ! हाँ बोलिये भाभी कोई काम, कुछ लाना है ?
एक बात बताइये आंसू पौंछते हुवे उन्होंने पूछा
'ये किससे किसको हुवा, इन्हे मुझसे या
मुझे इनसे ???'
आज चार साल हो गए, पल्लवी और अजय सामान्य जिंदगी जी रहे हैं, रेगुलर ट्रीटमेंट
चलता है। पर जब भी उन्हें देखता हूँ या उस दिन को याद करता हूँ तो ख्याल आता है कि
अगर उस दिन भूल से भी मैं कुछ उत्तर देता तो आज शायद दो जिंदगियां साथ नहीं होती।
कम से कम आज दोनों साथ तो हैं। पर साथ ही साथ गुस्सा भी बहुत आता है, पता नहीं क्यूँ
पर अजय पर ही। वो सवाल आज भी कानो में गूंजता है अक्सर…।
Note: This was my first attempt in story writing.
9 comments:
यह कहना उचित होगा की प्रमुख पात्र ने एक समझदारी बहरे फैसले से सिर्फ दो जानों को ही सहारा नहीं दिया, बल्कि एक घर को टूटने से भी बचाया |
पर हंसी आई सजनी भाभी के तिरस्कार पर, जिन्होंने अपने काम काजी भाई की बजाये गृहिणी पल्लवी के चरित्र को गलत समझा | अपनों पर ऐसा अँधा विश्वास, कभी कभी बड़ी हास्यस्पद स्थितियां दिखता है |
अच्छा लेखन है |
Blasphemous Aesthete
सवाल ???
मन को डरानेवाला ....
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नई पोस्ट-: चुनाव आया...
good attempt....bro...
Regards,
Nilesh
संवेदनशील कहानी ... दिल को छूती है ...
मासूम पल्लवी ...
कल 13/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
बहुत खूब!
ऐसी अवस्था कुछ कह नहीं सकते...
दिल दहलानेवाली ह्कीकत...
Apki aisi koshish, hamare bhitar aur ummido ko jagati hai.....bas aap chalne dijiye apki kalam ko....aur mann ko aur usme ate vicharo ko sanjote rahiye.......good writing....
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