बड़े- बुज़ुर्ग कह गए
सब्र का फल मीठा होता है
यही सोच कर, कल्पनाओं में
एक पौधा लगाया हमने भी, सब्र का
नियमित सिंचित कर रहे पानी से
गाढ़ी क्यारियां बना दी है;
कहीं पानी बह न जाए
पर्याप्त खाद;
जरुरी कीटनाशक
सब उपयोग करते रहे हैं
काफी रख - रखाव करना पड़ता है
कार्य मुश्किल तो है
पर फल का लालच
उत्साह बढाता है हरदम
और क्रम ये जारी है बरसों से
किसीने पूछा आज
कौन से फल आयेंगे तुम्हारे इस पेड़ में ?
कब आयें हम चखने ?
जवाब हमने भी दे दिया
ये हमारा कल्पवृक्ष है, सब्र का
फल होंगे इसपे नाना प्रकार के
सुख के, सम्पति के,
सफलता के, सम्मान के
कुछ संतुष्टि के, थोड़े ईमान के
और थोड़े एक-आध जीवन ज्ञान के
कह तो दिया, कहने को
पर इंतज़ार तो हमे भी है
कब ये फल होंगे,
ये इंतज़ार...
सब्र का फल मीठा होता है न !
7 comments:
mere taraf se bhi... :) :
Jaane kya baat hai
Jo socha tha desh ke liye
Woh kabhi hua nahi
Mehangaayi, berozgaari, aarthik sankat
Socha tha theek ho jaayenge
Kyunki dil kehta raha-
"Sabra ka phal meetha hota hai..."
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - सोमवार - 09/09/2013 को
जाग उठा है हिन्दुस्तान ... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः15 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
धैर्य रखें ...फल ज़रूर आएंगे ॰
इसमें कोई शक नही,सब्र का फल हरदम मीठा होता है...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
RECENT POST : समझ में आया बापू .
कल्पना लोक के इस पेड़ को मेनहत, आशा ओर हिम्मत से सींचना भी जरूरी है ... फिर सब्र जरूरी है ... फल तभी आएगा ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
sabr ka fak meetha hota hai..
u'll get it one day
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