शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है
कहीं मुफ्त पुस्तकें- बस्ता, कहीं आहार मिला है
कहीं दिखावी दाखिले, कहीं कागज पर स्कूल
कहीं साइकिल, कहीं लैपटॉप,ये कैसा सिलसिला है
शिक्षा प्रोत्साहन के क्या बस अब यही रह गए तरीके
एक अध्यापक, विषय अनेक, क्या पढ़ लें, क्या सीखें
पापी पेट बड़ा दुखदायी, गरीबी सब कुछ भुलाती है
किताबें- बस्ते सब बिक जाते, मजबूरी बिकवाती है
बचपन देश का आज बाल मजदूरी से मैला है
हर गली-नुक्कड़ चायवाला, बालक ही मिला है
चाहता वह भी पढना, देखे अक्सर सपना है
सपने और हकीकत में, फासला धुंधला है
शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है...
Theme by: Ms.Sonal Jain
5 comments:
Good One!
अभी तक तो ये अधिकार किताबी ही है ...
जब तक राशन का जुगाड नहीं करती सरकार ... सब बाते बेमानी हैं ...
गलती सबकी है, समाज की सबसे ज्यादा, लेकिन, प्रत्येक व्यक्ति की भी | क्यूंकि मुफ्त प्राथमिक शिक्षा का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है | हम डरते हैं |
Blasphemous Aesthete
बहुत अच्छा लिखा है...
अच्छा लिखा है आपने |
मेरी नई रचना में आपका स्वागत है |
इक नई दुनिया बनाना है अभी
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