शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है
कहीं मुफ्त पुस्तकें- बस्ता, कहीं आहार मिला है
कहीं दिखावी दाखिले, कहीं कागज पर स्कूल
कहीं साइकिल, कहीं लैपटॉप,ये कैसा सिलसिला है
शिक्षा प्रोत्साहन के क्या बस अब यही रह गए तरीके
एक अध्यापक, विषय अनेक, क्या पढ़ लें, क्या सीखें
पापी पेट बड़ा दुखदायी, गरीबी सब कुछ भुलाती है
किताबें- बस्ते सब बिक जाते, मजबूरी बिकवाती है
बचपन देश का आज बाल मजदूरी से मैला है
हर गली-नुक्कड़ चायवाला, बालक ही मिला है
चाहता वह भी पढना, देखे अक्सर सपना है
सपने और हकीकत में, फासला धुंधला है
शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है...
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