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Wednesday, September 18, 2013

शिक्षा का अधिकार...Dark side of the story


शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है 
कहीं मुफ्त पुस्तकें- बस्ता, कहीं आहार मिला है 
कहीं दिखावी दाखिले, कहीं कागज पर स्कूल 
कहीं साइकिल, कहीं लैपटॉप,ये कैसा सिलसिला है 

शिक्षा प्रोत्साहन के क्या बस अब यही रह गए तरीके 
एक अध्यापक, विषय अनेक, क्या पढ़ लें, क्या सीखें
पापी पेट बड़ा दुखदायी, गरीबी सब कुछ भुलाती है 
किताबें- बस्ते सब बिक जाते, मजबूरी बिकवाती है 

बचपन देश का आज बाल मजदूरी से मैला है 
हर गली-नुक्कड़ चायवाला, बालक ही मिला है    
चाहता वह भी पढना, देखे अक्सर सपना है 
सपने और हकीकत में, फासला धुंधला है 

शिक्षा का यूँ तो हम सबको अधिकार मिला है... 

Theme by: Ms.Sonal Jain

Sunday, September 8, 2013

सब्र का फल...

बड़े- बुज़ुर्ग कह गए 
सब्र का फल मीठा होता है 

यही सोच कर, कल्पनाओं में  
एक पौधा लगाया हमने भी, सब्र का 
नियमित सिंचित कर रहे पानी से 
गाढ़ी क्यारियां बना दी है; 
कहीं पानी बह न जाए 
पर्याप्त खाद;
जरुरी कीटनाशक
सब उपयोग करते रहे हैं
काफी रख - रखाव करना पड़ता है 

कार्य मुश्किल तो है 
पर फल का लालच 
उत्साह बढाता है हरदम 
और क्रम ये जारी है बरसों से 

किसीने पूछा आज 
कौन से फल आयेंगे तुम्हारे इस पेड़ में ?
कब आयें हम चखने ? 
जवाब हमने भी दे दिया 
ये हमारा कल्पवृक्ष है, सब्र का  
फल होंगे इसपे नाना प्रकार के 
सुख के, सम्पति के, 
सफलता के, सम्मान के 
कुछ संतुष्टि के, थोड़े ईमान के 
और थोड़े एक-आध जीवन ज्ञान के 

कह तो दिया, कहने को 
पर इंतज़ार तो हमे भी है 
कब ये फल होंगे, 
ये इंतज़ार... 
सब्र का फल मीठा होता है न ! 

Monday, September 2, 2013

गरीब - अमीर














कहीं तन पे नहीं कपडे, 
कहीं कपड़ों में खुला तन  है 
पहला निर्धन कहलाता 
दूजे पे हावी फैशन है 

भिक्षुक ये भी, भिक्षुक वो भी है 
ये देवालयों के बाहर, और वो अन्दर 
ये मांगता भीख, देता दुवाएँ 
वो प्रार्थनाओं में रखता दान-धन है 

है दोनों बेसहारा, दीन 
ये धन से, वो मन  से 
इसे पेट की चिंता है 
और उसे पेट से ही (औलादों) चिंतन है   

सपने देखते हैं दोनों एक से
सुख के, सम्पति के, सम्मान के 
पर इन्हें पाने में अक्सर 
करते गलत रास्तों का चयन है 

काश ! ऐसा हो पाता कभी 
आचार मिलते विचारों से  
होते सब समान, एक से 
सोचें तो होता काफी मन-मंथन है...   

कहीं तन पे नहीं कपडे......



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