मेरे वड़ोदरा (गुजरात) के मित्रों में एक तकिया कलाम खूब प्रचलित हुवा "Touch है". इसका उपयोग किसी भी बात के वजनदार होने पर, किसी खुशनुमा हादसे के वर्णन पर, किसी अनोखे अनुभव आदि पर प्रचलित हुवा । मतलब शायद यही था की बात अनोखी है, दिल को छु गई। बस यही से इस तकिया कलाम को उठाया, कुछ मित्रो के Touching अनुभवों को अपने मसाले के साथ खयाली पुलाव में आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ....लुत्फ़ उठाइये:-)
Touch hai...
बातों में,
मुलाकातों में,
कहे- अनकहे जज्बातों में
और फिर शर्म से झुक जाने में
हाय ! क्या Touch है...
वो कॉफ़ी की टेबल
था Date का Label
हाथों के टकरानें में
और चौंक कर सहम जाने में
हाय ! क्या Touch है...
बातें लम्बी-लम्बी,
उन्हें सुनते चले जाने में
हिलते हुवे होठों पे नज़रों के ठहर जाने में
Mug share हुवा जो कॉफ़ी का;
एक ख़ास जगह से पी जाने में
हाय ! क्या Touch है...
शेर दूसरों के,
तारीफों में
Personal से बनाने में
उनको समझते हुवे हमारा
हंसने में- मुस्कराने में
हाय ! क्या Touch है...
ख़त्म वक़्त के होने में;
थोडा रुकने को मनाने में
वो जाते- जाते मुड़ने में,
और फिर ठहर जाने में
हाय ! क्या Touch है...
वो फिर मिलने के वाडे के संग
आलिंगन (Hug) जो पाया था
कमबख्त,
आज भी छटपटा जाते हैं
यादों में भी....
हाय ! क्या Touch है...