
Touch hai...
बातों में,
मुलाकातों में,
कहे- अनकहे जज्बातों में
और फिर शर्म से झुक जाने में
हाय ! क्या Touch है...
वो कॉफ़ी की टेबल
था Date का Label
हाथों के टकरानें में
और चौंक कर सहम जाने में
हाय ! क्या Touch है...
बातें लम्बी-लम्बी,
उन्हें सुनते चले जाने में
हिलते हुवे होठों पे नज़रों के ठहर जाने में
Mug share हुवा जो कॉफ़ी का;
एक ख़ास जगह से पी जाने में
हाय ! क्या Touch है...
शेर दूसरों के,
तारीफों में
Personal से बनाने में
उनको समझते हुवे हमारा
हंसने में- मुस्कराने में
हाय ! क्या Touch है...
ख़त्म वक़्त के होने में;
थोडा रुकने को मनाने में
वो जाते- जाते मुड़ने में,
और फिर ठहर जाने में
हाय ! क्या Touch है...
वो फिर मिलने के वाडे के संग
आलिंगन (Hug) जो पाया था
कमबख्त,
आज भी छटपटा जाते हैं
यादों में भी....
हाय ! क्या Touch है...
