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Photo by : Jinit Soni |
कभी बातें होती थी रोजाना
अब आहटें सालाना
कि न बदले हैं हम,
न बदला है तू शायद
पर कितना बदल गया है ज़माना
कि लम्हा वो ठहर गया होता
थोडा जी लेते
और ज्यादा क्या होता ?
माहोल कुछ और ही होता
इस आज में
न इस तरह होता जिक्र
न पड़ता बतियाना
कभी बातें होती थी रोजाना...
6 comments:
कभी बातें होती थी रोजाना...
बहुत ही सुंदर अहसास ,,,,
recent post : नववर्ष की बधाई
वक्त तो पल पल बदलता है ...यही है नियति
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 09/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बेहतरीन अहसास. सुंदर प्रस्तुति. नव वर्ष की शुभकामनायें.
लाजवाब एहसास लिए ...
नव वर्ष की शुभकामनायें ...
बेहतरीन
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