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Photo by : Jinit Soni |
कभी बातें होती थी रोजाना
अब आहटें सालाना
कि न बदले हैं हम,
न बदला है तू शायद
पर कितना बदल गया है ज़माना
कि लम्हा वो ठहर गया होता
थोडा जी लेते
और ज्यादा क्या होता ?
माहोल कुछ और ही होता
इस आज में
न इस तरह होता जिक्र
न पड़ता बतियाना
कभी बातें होती थी रोजाना...