चलो फिर नये से शुरू करते हैं
एक शहर नया,
एक बस्ती नयी
एक मकान नया सा चुनते हैं
कि नयी बस्ती- मकान में
बातें पुरानी करते हैं।
चलो फिर नये से शुरू करते हैं...
नय़े चेहरे,
नये लोगों में
साथ नया सा ढूंढते हैं
उन लम्हों में खुद को
यादों से बचाया करते हैं।
चलो फिर नये से शुरू करते हैं...
सामान बिटोरा,
सारा बोरिया-बिस्तर,
ले आये सारा नए शहर
ये नया मकां
कभी घर होगा
इस आस सजाया करते हैं।
चलो फिर नये से शुरू करते हैं...
काफी कुछ लेकिन
बिखरा-टूटा,
इस बिटोरने-सजानें में
अश्कों को नहीं बहने देते
अश्कों को नहीं बहने देते
हँसते हैं, हँसाया करते हैं।
चलो फिर नये से शुरू करते हैं...