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A Painting by Raja Ravi Verma |
नूर आज फिर चेहका होगा
सुबह थोड़ी सी अलसाई होगी
किरणें पर्दों की जालियों से छनकर
तुम्हे छुकर थोडा इतराई होगी
गुनगुना रही होगी तुम वो
गीत वो थोड़े हमारे से
ख्यालों के शीतल पानी से
अलमस्त नहायी होगी
वो भीनी जुल्फें तुम्हारी
उलझी ज़िन्दगी सी
हमें ही सोचते हुए
सुलझाई होगी
आँखें खोई सी ख्वाब बुनने में
आइना देख थोडा शरमाई होगी
होठ सुष्क, हंसी चेहरे पर
आभा हरतरफ जगमगाई होगी
आज भी तुमने
की होगी प्रार्थना
कुशलता हमारी भी उसमे
चाही होगी
नूर आज फिर चेहका होगा
सुबह थोड़ी सी अलसाई होगी