ये ऊँची फंडू बातों में, कडवी तीखी सच्चाई
मुख पर होती तारीफें, पीछे से खूब खिंचाई
चापलूसी, चमचागिरी, कहीं हुस्न पे झुकाव
अँधा भरोसा कहीं पर, कहीं हर बात में टकराव
कहीं इर्ष्या, कहीं जलन, आपस में खिंचा-तानी
राजनीति, कूटनीति, और साथ मिले बेईमानी
जिक्र तनखा का हो, वो चुनावी लुभाते वादे
प्रमोसन में बरसों, इन्क्रीमेंट चंदों से आते
ये रोज नये से टार्गेट, साहब की जी-हुजूरी
कमबख्त नौकरी, जीवन की एक मज़बूरी
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12 comments:
kuch na kuch to karna hi padta hai jeene ke liye ..
bahut badiya rachna..
एकदम सही कहा है आपने
सभी की मन की बाते है ये
बेहतरीन रचना...
:-)
इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.
सच्ची बात कहीं आपने ।
Every line is true... Nice One... :)
Ekdam sahi kha aapne
very true..
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट बहुत पसंद आई.......बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
sahi hai....
man ke bhav sundarata se prakat kiye ...!!
aaj ki sabse badi n kadvi sacchai.........
mostly servicemen se yahi suna hai :p nice expression of thoughts
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