चाय से चाहत जुडी
कुछ को बस लगाव
कुछ के लिए नशा सा है
ना छुटे लाख उपाय
कहीं अदरकी, कहीं इलाची
कहीं खड़ी, कहीं कड़क
लोकप्रियता इससे जुडी
हर नुक्कड़, हर सड़क
दिन के हर प्रहर का है
इससे सीधा सा नाता
सुबह सुबह हो बेड-टी
तो बिस्तर छूट पाता
ऑफिस में महबूब सा
चायवाले का इंतज़ार
कब आये, थोडा मूड बने
हो थोड़ी गप-सप दो चार
घंटो चलती मीटिंग्स हो
हो भाषण, ट्रेनिंग, सेमीनार
टी ब्रेक ही बनता है हरदम
सरदर्द का उपचार
वो इम्तिहान, वो सिलेबस
वो किताबी भारी रातें
वो भागती घडी की सुई
नींद की भीनी आहटें
कि जागने से जुड़ा हो
जब कभी खेल सारा
तो ये ही एकमात्र पेय
जो बनता है सहारा
जोडियाँ जोड़नी हो
हो रिश्तेदारी, व्यवहार
चाय बनती है एक माध्यम
या यूँ कहें इश्तेहार
हो दोस्तों की महफ़िलें
वो पहला प्यार, इज़हार
इससे जुडी कई बरसातें
वो लम्हा कोमल, यादगार
इससे जुड़ा है जीवन
वो यादें अपरंपार
वक़्त मिले लीजिये दो चुस्की
करिये ख्यालों में दीदार
चाय से चाहत जुडी....
Theme Suggested by: Ms. Meenakshi Kurseja
12 comments:
mast..mazza avi gai..ekdum fresh..
चाय से चाहत जुड़ी है इसीलिए चाय हमे बहुत प्रिय है।
सादर
बहुत बढ़िया
लाजवाब रचना...
आपकी चाय के साथ
मजा आ गया...
:-)
nice one.
Nasha chhad gaya Chai ka....
Good going...
chaay to hamare jindagi ka hissa ho gaya hai
Bhai.....khub j umda ane mast ek dam mood banavati kavita j kharekhar alag chhe.....ane maja ni chhe...aa kavita nu pathan tu jyare rubroo malish tyare achuk karva ma avshe.....
खड़ी चम्मच की चाय जैसी मीठी कविता......
awesome dude...very nicely expressed...
Loved it.....
superb
sundar rachna ...
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