गिरते हौसलों को संभाला है बहुत
अंधेरों में भी कहीं उजाला है बहुत
रूठे ज़िन्दगी से, हालातों से अक्सर
आंसुओं को बहने से, टाला है बहुत
रंगीली दुनिया क्या खूब लोग हैं
गोरे चेहरों में मन, काला है बहुत
चाह कर भी ना समझ पाए इनको
हर एक इन्सां यहाँ निराला है बहुत
सपने देखते हैं, देखना जरुरी है
इरादों में पर भरा अटाला है बहुत
चुनौतियाँ आती रही, जाती रही
सबसे लड़ने को खद को, ढाला है बहुत
गिरते हौसलों को संभाला है बहुत...
Image Courtesy: Mr. Jinit Soni
10 comments:
बहुत खूब
गिरते हौसलों को सँभालने वाले ही संभल पाते हैं.
बहुत सुन्दर
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
Bahut hu badhiya......
mast..:)
nice poem ..anybody who has struggled in life may relate with the lines
Copied and pasted Nidhi Shendurnikar's comment......
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
:-)
Very bold attempt...!! Carry on..!!
बहुत सुन्दर......
बेहतरीन एहसास.......
अनु
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