ना खुद सोये, ना सपनों को सोने दिया
कुछ कर दिया, बाकि बस होने दिया.....
मंजिलें इंतज़ार करती होंगी हमारा
इस सोच ने चलाया, बस बढ़ने दिया
अनजान रास्ते नुकीले, टेढ़े मेढ़े से
दृढ हौसलों ने हरदम, बस चलने दिया
रुके भी, थके भी, अलसाए थोडा बहुत
ख्याल उलझे कभी तो, बस उलझने दिया
की जागना जरुरी है, जगाने के लिए
यही तो कहना था हमे, बस कह दिया
ना खुद सोये, ना सपनों को सोने दिया