मुझे जान कर करोगे क्या
अनजाना ही अच्छा हूँ
भीड़ में खोया खोया सा
बेगाना ही अच्छा हूँ
भला, नाम में क्या रखा है?
इस प्रकृति का ही बच्चा हूँ
समझा हुआ सा नासमझ
थोडा पगला सा ही अच्छा हूँ
कि प्यार है मुझमे भी
भक्त सौन्दर्य का मैं सच्चा हूँ
यूँ संबंधों में ना जक्ड़ो में
आज़ाद दीवाना अच्छा हूँ
कभी खुश हूँ, कभी व्याकुल
भावुक हूँ, थोडा सा बच्चा हूँ
जिंदगी सफ़र, बस चलता रहा
मुसाफिर मस्ताना अच्छा हूँ