THEMES

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Saturday, February 18, 2012

अनजाना ही अच्छा हूँ...














मुझे जान कर करोगे क्या 
अनजाना ही अच्छा हूँ 
भीड़ में खोया खोया सा 
बेगाना ही अच्छा हूँ

भला, नाम में  क्या रखा है? 
इस प्रकृति का ही बच्चा हूँ
समझा हुआ सा नासमझ 
थोडा पगला सा ही अच्छा हूँ 

कि प्यार है मुझमे भी 
भक्त सौन्दर्य का मैं सच्चा हूँ
यूँ संबंधों में ना जक्ड़ो में 
आज़ाद दीवाना अच्छा हूँ 

कभी खुश हूँ, कभी व्याकुल 
भावुक हूँ, थोडा सा बच्चा हूँ 
जिंदगी सफ़र, बस चलता रहा 
मुसाफिर मस्ताना अच्छा हूँ  

Thursday, February 16, 2012

नजारा बदलेगा


नज़र बदली, नज़रिये बदले,  
नजारा भी बदलेगा 
दिन आज नहीं तो कल, 
हमारा- आपका भी बदलेगा 

दुःख-पीडा, परेशानी-संकट 
सारा ताल जायेगा 
बुद्धि-श्रम, दृढ हौसलों के आगे, 
समय पलट ही जायेगा 

प्रेम-धैर्य, विश्वास-लगन से
मौसम पलटी खायेगा 
अरमानों के बादल बरसेंगे,
सुख ही सुख छा जायेगा 

अदा बदलेगी, अंदाज़ बदलेगा, 
लोगो का हमारे प्रति मिजाज़ बदलेगा  
आज जो कोई रखता है दूरी, 
कल आस पास टहलेगा.

नज़र बदली, नज़रिये बदले, नजारा बदलेगा ...

Sunday, February 12, 2012

नाम तेरा पानी पे लिखा






नाम तेरा पानी पे लिखा 
न जाने कहाँ ओझिल वो हूवा 
फिर कोशिश कि बालू पर 
लहरें जो आई, बह वो गया 

सोचा पत्थर पर लिख डालूँ
न मिटे कभी, न हो सफा 
पर एक और पत्थर जो टकराया उसे 
टुकड़ों में वो तो बिखर गया 

हारकर उसे मेरे दिल पे लिखा 

अब इससे बेहतर जगह कहाँ 
हर पल में धडकता रहता है
न रोक सकूँ; न कर पाऊं जुदा

Saturday, February 4, 2012

सर्द-जुकाम....An Ode to Cold n Cough





ठण्ड का प्रकोप कुछ इस तरह से बढ़ रहा
हर किसी का कमबख्त नाक है बह रहा 
जुकाम ने धीरे- धीरे रफ़्तार बढाई है 
अ आं....छी, आं....छी, करते सामत आई है 


शुरू  शुरू में बहता था बस 
अब वन-वे ट्राफिक बंध हूवा 
कफ का जमावड़ा सीनों में 
बुलंद हूवा, प्रचंड हूवा 


डॉक्टर बने लेकर खुद ही 
बाजारी चंद दवाएं 
कमबख्त हालत और बिगड़ी 
गला भी अब बंध हूवा 


की सांसें ले रहे मूह से 
गाढ़ा पीला कफ बनता है 
हर रोज किलो- दो किलो 
प्रोडकशन निकलता है 


की घरेलु इलाज़ भी आजमाए 
पिये अदरकी चाय व् काढ़े 
गला खोलने को न जाने
किये कितने गरारे 


तभी किसी ने कहा 
चादर ओढ़ भाप भी ले लो 
हमने कहा भाई बस जिन्दा हैं 
चाहो तो जान ही ले लो 


रोजाना मानव ये बदतमीज़ बीमारी 
झेल रहा, बस सह रहा 
हर  किसी को सर्द-जुकाम लगी है; 
हर किसी का कमबख्त नाक है बह रहा....  



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