अभी कुछ दिन पहले एक मित्र ने कहा प्यार पर कुछ मजा आये थोडा Positive Feel हो ऐसा कुछ लिखो, हमेशा गम लिखते हो.....तो बस एक Experiment (प्रयोग/परिक्षण) कर ही डाला हमने भी....
पेश है एक 'खयाली पुलाव'....पात्र, मौकाए- वारदात, एवं विचार काल्पनिक है ....:-)
हंसती हुई, चहकती हुई
बारिश की भीनी बूंदों सी
वो ताजगी, वो चुलबुलापन
हमें हर मौसम पसंद है...
आगबबूला हो जाती है
वो फूला हुवा थोडा चेहरा तेरा
हमें हर मौसम पसंद है...
जब जब बाहों में लूँ तुझे
उस मूड को क्या करूँ बयां
तू मुझमें, मैं बस तुझमें ही
हमें हर मौसम पसंद है...
की सुष्क होठ मिले, हम एक हुवे
बाकी कुछ शब्द अब याद नहीं
निशब्द किया, ख़ामोशी ने
हमें हर मौसम पसंद है...
14 comments:
प्यार हो तो मौसम का क्या है ... वही स्थिर हो जाता है
बहुत खूब सर!
सादर
VERY NICE.
pyar me to har mausam pasand aata hi hai...nice poem..:)
hame bhi har mosam pasand he.....
nice
parkash bhai hume bhi har mausam pasand hai ji
chulbulapan mujhe bhi bahut pasand hai, even am like that,, isliye apki poem bhi humko pasand hai.
बहुत खूब,...अच्छी प्रस्तुति,बहुत सुंदर रचना,..बधाई
new post...वाह रे मंहगाई...
जब यो मुझ में और मैं उनमे हूँ ... तब तो हर मौसम वैसे भी अच्छा लगता है ... क्या बात है ..
सुंदर रचना बधाई
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
लिखते रहिये बस
pyaar par pyaari si kavitaa ke liye ABHINANDAN:-)
बहुत सुन्दर !
अच्छी लगी रचना.. कुछ नए नयी सी.!
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