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Thursday, December 29, 2011

मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...
















मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं
उम्र गुज़री, अब भी मगर 
थोडा नादान हूँ, 
विध्यार्थी हूँ मैं...... 

कभी क्रोधी, कभी लोभी
कभी व्यसनी, कभी भोगी 
थोडा आसक्त हूँ  
क्षमानार्थी हूँ मैं
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...

साथी हूँ, कभी हमसफ़र 
सब जान कर भी बेखबर 
थोडा भटका हुआ,
शरणार्थी हूँ मैं 
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...

जीवन एक परीक्षा 
हर क्षण एक प्रस्नपत्र
ना तैयारी कोई मगर   
परीक्षार्थी हूँ मैं 
विध्यार्थी हूँ मैं...... 
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...

26 comments:

Keyur said...

Sathi hu Kabhi Humsafar........... Superb.......

Jeevan Pushp said...

थोडा -बहुत स्वार्थी होना तो प्रकृति प्रदात है !
बहुत सुन्दर रचना !

vandana gupta said...

बिल्कुल सही कहा मानव जीवन भर विद्यार्थी ही बना रहता है।

shefali said...

very nice and very true dear its too good

आशा बिष्ट said...

साथी हूँ, कभी हमसफ़र
सब जान कर भी बेखबर
थोडा भटका हुआ,
शरणार्थी हूँ मैं
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...sundar prastuti...

आशा बिष्ट said...

sundar rachna..

रश्मि प्रभा... said...

मनुष्य की शाश्वत प्रवृति

मेरा मन पंछी सा said...

manushya hu mai swarthi hu mai....
bahut sundar rachana hai...

संगीता पुरी said...

मनुष्‍य हूं .. सभी जीवों में स्‍वार्थी .. सही है !!

Mamta Bajpai said...

मनुष्य बने रहना ही बड़ी बात है ...बहुत बढ़िया आभार

संजय भास्‍कर said...

अच्छी कविता है. विचलित कर देने वाली.

Nidhi Shendurnikar said...

selfishness is the basic nature of the human mind .... i think you can add more lines to this poem.

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

bahut sundar panktiyaan

विभूति" said...

बेहतरीन अभिवयक्ति.....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर प्रस्तुती, जीवन भर इंसान विद्धार्थी रहता है,हर व्यक्ति स्वार्थी होता है, बेहतरीन रचना,.....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..

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shikha varshney said...

सच्ची कविता.

Ruchi Jain said...

So true, we are learners and selfish somehow..

Urmi said...

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

अनुपमा पाठक said...

स्थितियों का सटीक अवलोकन हो... आभास हो.... तो परीक्षार्थी अवश्य सफल होता है!
सुन्दर रचना!
नववर्ष की शुभकामनाएं!

dinesh aggarwal said...

सुन्दर,सुन्दर,अति सुन्दर।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें......

Unknown said...

बहुत सुन्दर भाव पूर्ण कब्यांजलि ...शुभ कामनाएं प्रकाश जी ...
सादर !!!

Yashwant R. B. Mathur said...

मनुष्य का स्वार्थ से गहरा संबंध है।
आपने सही कहा।

सादर

Mini said...

:).......

सदा said...

बहुत सही कहा है आपने ...आभार ।

वीना श्रीवास्तव said...

मानव है तो मानवीय स्वाभाव होगा ही और स्वार्थी होना भी मानव स्वाभाव है...और आज के परिप्रेक्ष्य में तो बिल्कुल सटीक....
बहुत बढ़िया....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मनुष्य है इसीलिए स्वार्थी है ।सच को कहती रचना

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