मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं
उम्र गुज़री, अब भी मगर
थोडा नादान हूँ,
विध्यार्थी हूँ मैं......
कभी क्रोधी, कभी लोभी
कभी व्यसनी, कभी भोगी
थोडा आसक्त हूँ
क्षमानार्थी हूँ मैं
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...
साथी हूँ, कभी हमसफ़र
सब जान कर भी बेखबर
थोडा भटका हुआ,
शरणार्थी हूँ मैं
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...
जीवन एक परीक्षा
हर क्षण एक प्रस्नपत्र
ना तैयारी कोई मगर
परीक्षार्थी हूँ मैं
विध्यार्थी हूँ मैं......
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...
29 comments:
Sathi hu Kabhi Humsafar........... Superb.......
थोडा -बहुत स्वार्थी होना तो प्रकृति प्रदात है !
बहुत सुन्दर रचना !
nice :)
बिल्कुल सही कहा मानव जीवन भर विद्यार्थी ही बना रहता है।
very nice and very true dear its too good
साथी हूँ, कभी हमसफ़र
सब जान कर भी बेखबर
थोडा भटका हुआ,
शरणार्थी हूँ मैं
मनुष्य हूँ, स्वार्थी हूँ मैं...sundar prastuti...
sundar rachna..
मनुष्य की शाश्वत प्रवृति
manushya hu mai swarthi hu mai....
bahut sundar rachana hai...
क्या बात है बहुत प्यारी रचना !
आभार !!
मेरी नई रचना
एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है
मनुष्य हूं .. सभी जीवों में स्वार्थी .. सही है !!
मनुष्य बने रहना ही बड़ी बात है ...बहुत बढ़िया आभार
अच्छी कविता है. विचलित कर देने वाली.
selfishness is the basic nature of the human mind .... i think you can add more lines to this poem.
bahut sundar panktiyaan
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
बहुत सुंदर प्रस्तुती, जीवन भर इंसान विद्धार्थी रहता है,हर व्यक्ति स्वार्थी होता है, बेहतरीन रचना,.....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
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सच्ची कविता.
So true, we are learners and selfish somehow..
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
स्थितियों का सटीक अवलोकन हो... आभास हो.... तो परीक्षार्थी अवश्य सफल होता है!
सुन्दर रचना!
नववर्ष की शुभकामनाएं!
सुन्दर,सुन्दर,अति सुन्दर।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें......
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण कब्यांजलि ...शुभ कामनाएं प्रकाश जी ...
सादर !!!
मनुष्य का स्वार्थ से गहरा संबंध है।
आपने सही कहा।
सादर
:).......
बहुत सही कहा है आपने ...आभार ।
मानव है तो मानवीय स्वाभाव होगा ही और स्वार्थी होना भी मानव स्वाभाव है...और आज के परिप्रेक्ष्य में तो बिल्कुल सटीक....
बहुत बढ़िया....
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 15 मई 2021 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
मनुष्य है इसीलिए स्वार्थी है ।सच को कहती रचना
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