संघर्ष ज़िन्दगी से,
कुछ ऐसे जुड़े हैं
दो डग आगे बढे नहीं,
चार पीछे पड़े हैं
संघर्ष ज़िन्दगी से...
गाँव छूटे, शहर भी,
वो गलियां, प्यारे लोग भी
पर ये साथ रहे सदा,
परछाई से बढें हैं
संघर्ष ज़िन्दगी से...
उम्र इनकी ज्यादा हमसे,
शायद विरासत में मिले हैं
आदत सी है इनकी अब तो,
मानों ज़िन्दगी में जड़े हैं
संघर्ष ज़िन्दगी से...
पर आखिरी वो ज़िन्दगी का
संघर्ष जो गहरा देखा था,
तबसे डरे-डरे से हैं
सहमे से पड़े हैं
संघर्ष ज़िन्दगी से...
क्या दुश्मनी थी हमसे,
क्या बिगाड़ा था इनका
कमबख्त क्रूर से हमारे ही,
पीछे क्यूँ पड़े हैं ?
संघर्ष ज़िन्दगी से...
31 comments:
Each line of Your poem has bitter truth of our life,
નથી એ વાત કે મેં શક્યતાઓ નાણી નથી
વ્યથાઓ એવી ઘણી છે કે જેને વાણી નથી
નથી થયો હજુ અહેસાસ એવાં દુઃખ છે ઘણાં
ઘણી ખુશીઓ મળી છે, છતાંય માણી નથી
ક્ષણોને ઊજવી લેવાય એ જરૂરી છે
ક્ષણોથી ભિન્ન બીજી કોઈ ઉજાણી નથી
દિવસ તો આવ્યો છે સંગ્રામ થઈ ફરી એકવાર
ને રાબેતા મુજબ તલવાર મેંય તાણી નથી
એ એકએક કરી આવરણ હટાવે છે
હજુ સુધી મેં ગઝલને પૂરી પિછાણી નથી
loved the flow u maintained through out..
it was like a song :)
very nice portrayal of the ever going struggle of life.
u were successful is showing both ups n downs :)
Loved the second verse most !!!
Fantastic read :)
sreshth rachna...
संघर्ष जीवन को सही तरह से जीना सिखाते हैं।
सादर
कल 13/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सार्थक भावों के साथ सशक्त रचना ।
Good one
सशक्त और प्रभावशाली रचना.....
यही तो जीवन है। सुन्दर रचना। शुभकामनायें।
बिना संघर्ष के ज़िंदगी ही कहाँ ... अच्छी प्रस्तुति
sangarsh hi jeevan hai aur jeevan hi sangarsh hai :) achchi rachna.
mere blog par aapka swagat hai :)
nice lines.
बहुत उम्दा!!
संघर्ष का अच्छा चित्रण
ऊत्तम रचना....
सादर बधाई
बड़ी प्रेरणादायी बातें ,बधाई !
wo sangharsh hi to he jo hamesha sath rehta he, aur ese creations ko inspire karte he.
संघर्स ही तो जीवन है ..बहुत सुन्दर रचना
प्रेरणा देती सुंदर रचना बहुत सुंदर पोस्ट...
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बहुत सुन्दर रचना|शुभकामनायें।
ज़िंदगी के संघर्ष ही हमें तरक़्क़ी की तरफ ले कर जाते हैं बंधु।
khoobsurat kavita
बेहतरीन प्रस्तुति !
मेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है !
सघर्ष से कोई नहीं बच सकता ..
सघर्ष की सार्थक प्रस्तुति...
Wonderful creation :)
Nice blog ..
Nice. You write so soulful. :)
भाई प्रकाश जी अच्छी बधाई और शुभकामनाएं |
संघर्ष ही जीवन के एहसास की शर्त है .......
bahut hi sundar rachana hai...
सुंदर सार्थक प्रेरणा देती बढ़िया रचना,....
मेरी नई रचना के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे
संघर्ष में जीत हमारी ही होती है .
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