THEMES

LIFE (56) LOVE (29) IRONY (26) INSPIRATIONAL (10) FRIENDSHIP (7) NATURE (3)

Tuesday, November 1, 2011

क्या जाने ?

विवाद सभी कर सकते हैं, पर वार्तालाप कुछ ही जानें
श्रोता बनना कठिन बड़ा, ये निरंतर बोलने वाले क्या जाने ?

क्रोध सभी करते रहते, विनम्रता कुछ ही जाने
हो-हल्ला जिनको हो प्यारा, वो शांति-रस को क्या जाने ?

निंदा-उपहास सभी कर लेते, पर प्रशंसा करना कम जाने
मेहनत जिसने कि न हो कभी, संघर्ष है क्या, ये क्या जानें ?

स्वार्थ जिसे हो प्यारा, वो व्यवहार नहीं जाने
हिंसा मार्ग पे चलने वाले, क्षमा इक गुण ये क्या जाने ?

नशे में डूबे रहते हैं, वे दिन या रात नहीं जानें
भोग-विलास में रत जो हों, सौन्दर्य कि महिमा क्या जानें ?


11 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!

सादर

सदा said...

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ..।

vandana gupta said...

वाह बहुत खरी खरी कही है मगर सच कही है।

Nidhi Shendurnikar said...

wow ... extremely good ...have no words for it ...great creation because it has depth and meaning it it ...loved it

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... प्रकाश जी खूब लिखते हैं आप ... लाजवाब शेर हैं सबी ...

रश्मि प्रभा... said...

सुनने में कौन वक़्त गंवाए , जब यह गुमां हो कि मैं सब जानता हूँ .... और बस बोलते जाओ

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक बात ... खुद को हरफनमौला समझने वाले कुछ समझना नहीं चाहते .. अच्छी प्रस्तुति

Amit Chandra said...

बिलकुल सही फरमाया है आपने. सुंदर रचना.

Kalyan said...

lovely words...nicely crafted lines!

Amrita Tanmay said...

लाज़वाब...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गहरी बात लिए सभी पंक्तियाँ......

Post a Comment

Your comments/remarks and suggestions are Welcome...
Thanks for the visit :-)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...