कभी कुछ पल हमारी-आपकी मुलाकात हो,
तनहा सी निगाहों के कुछ ताल्लुकात हो।
कैद नजरों में आपको कर लूँ इस तरह,
फिर जब चाहूँ, जहाँ चाहूँ आपका साथ हो।
कि दिन भी न ढला हो, न हुई रात हो,
कुछ हम बोलें, कुछ आपकी बात हो,
और कुछ अनकहे से थोड़े संवाद हो ।
खुश आप हों, हम तो होंगे ही जरुर,
लगे यूँ कि मानो कोई त्यौहार हो ।
उपहार में दे दूँ दिल मेरा आपको,
आमने सामने भी कभी इजहार हो ।
रोक दूँ वक़्त के उन हर एक लम्हों को,
बस आप हों, मैं हूँ, और प्यार ही प्यार हो ।
भुला दूँ ये दुनिया,सारी कायनात को,
न जाने फिर भला कब ये इत्तेफाक हो ।
Image Courtesy: 1. Google, 2. Ms.Shambhavi Upadhyay