ख्याल, तमन्ना, ख्वाब व् सपनें
कितने बेगानें, कितने अपने
बड़े करीबी से लगते ये
आते अक्सर रोजाना
पल भर में मंजिल पहुंचाए
दूजे पल बदले ठिकाना
यूँ तो शब्द ये चार
है मतलब अलग-अलग
पर भाव इनमे एक से हैं
मिलती जुलती है रग
नज़दीकियाँ इनसे भारी पड़ जाती
कभी हँसाती हमे
कभी बेहद रुलाती
पर भूल के भी इनको दूर ना करना
दूरियों से नहीं ये सच होने
ख्याल, तमन्ना, ख्वाब व् सपनें...
2 comments:
i love this poem specially......... each n every word... awesome one........
हमेशा कि तरह अति सुन्दर ..
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