कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो
ख्यालों कों अपने थोडा हिला-डुला कर देखो
इश्क आसान नहीं, है लगता जितना
खलबली धडकनों कि तुम भी आजमा के देखो
कि खूबसूरती तुम्हारी कितनी निखरती है
हमारे कहने से ही सही, जरा मुस्कुरा के देखो
भुला दो एक पल के लिए जहाँ का सब कुछ
उस एक पल में दिल को दिल से लगा के देखो
कि एहसास दूरियों का जो हो शायद
थोड़ी नजदीकियां बढा के देखो
कि बातें जो तुम्हे आज शायराना लगती है
कभी पंक्तियों को मेरी अपना के देखो
कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो...
14 comments:
kya baat he praksh bhai, tusi chha/khil rahe ho.
who is behind this great creation? superb words for superb feelings
great feelings expressed in a simple way
Awesome one........
बहुत सुंदर बात ...मुस्कुराने से चेहरे पे नूर आ जाता है ....!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
So beautiful and positive attitude ....nice poem
वाह बहुत कोमल अहसास
बहुत खूब सर!
सादर
क्या बात है.... बहुत खूब...
सादर
कोमल एहसासों से परिपूर्ण कविता समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर अपप्का स्वागत है
http://aapki-pasand.blogspot.com/
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
हाँ ,एक बार तो प्रयोग कर ही लो न ,हो सकता है भा जाये !
bat kahane ka andaaj bahut sundar hai, vaakai dukh men bhi agar khushi kee khoj karen to kahin na kahin vah jaroor milegi. "jaki rahi bhavna jaisi prabhu moorat dekhi tin taisi."
bahut khoob
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