कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो
ख्यालों कों अपने थोडा हिला-डुला कर देखो
इश्क आसान नहीं, है लगता जितना
खलबली धडकनों कि तुम भी आजमा के देखो
कि खूबसूरती तुम्हारी कितनी निखरती है
हमारे कहने से ही सही, जरा मुस्कुरा के देखो
भुला दो एक पल के लिए जहाँ का सब कुछ
उस एक पल में दिल को दिल से लगा के देखो
कि एहसास दूरियों का जो हो शायद
थोड़ी नजदीकियां बढा के देखो
कि बातें जो तुम्हे आज शायराना लगती है
कभी पंक्तियों को मेरी अपना के देखो
कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो...
THEMES
Sunday, June 13, 2010
Thursday, June 3, 2010
ईश्वर बना है भ्रष्ट...
ईश्वर बना है भ्रष्ट, कैसे हैं दिन आये
आस्था, श्रध्धा, विश्वास सारे चढ़ावे में जाए
दीन बने और दीन, अमीरी कुछ को भरमाये
ईमान- उसूल वालों ने कब सुख के दिन पाये?
रोज हो रही दुर्घटनाएं, हादसे व् हिंसाएँ
क्या इनमे मरनेवालों ने न कि थी कभी पूजा-अर्चनाएं ?
कि मन्नतें उनकी क्यूँ नहीं पूरी हुई ?
या बोलियों में उनकी थी कमी थोड़ी रह गई ?
मेहनत-ईमानदारी-सज्जनता, आज न चलने पाये
धोखाधड़ी-तिकड़म- पैंतरे, सबको सफल बनाये
सच्चाई के रास्ते आज जो अपनाएं
पड़ा बैठ कोने में वो हरदम पछताए
इस कठिन माहोल ने सारे आदर्श भुलाये
नीतियां धरी रह गई, राजनीति सब अपनाए
ईश्वर बना है भ्रष्ट.....................
आस्था, श्रध्धा, विश्वास सारे चढ़ावे में जाए
दीन बने और दीन, अमीरी कुछ को भरमाये
ईमान- उसूल वालों ने कब सुख के दिन पाये?
रोज हो रही दुर्घटनाएं, हादसे व् हिंसाएँ
क्या इनमे मरनेवालों ने न कि थी कभी पूजा-अर्चनाएं ?
कि मन्नतें उनकी क्यूँ नहीं पूरी हुई ?
या बोलियों में उनकी थी कमी थोड़ी रह गई ?
मेहनत-ईमानदारी-सज्जनता, आज न चलने पाये
धोखाधड़ी-तिकड़म- पैंतरे, सबको सफल बनाये
सच्चाई के रास्ते आज जो अपनाएं
पड़ा बैठ कोने में वो हरदम पछताए
इस कठिन माहोल ने सारे आदर्श भुलाये
नीतियां धरी रह गई, राजनीति सब अपनाए
ईश्वर बना है भ्रष्ट.....................