सभी का अपना प्रभाव है अलग
नदी का हर जगह बहाव है अलग
कविता में पंक्तियों का भाव है अलग
पत्नी और प्रेमिका का प्यार है अलग
हर बच्चे से माँ-बाप का प्यार है अलग
वेश है अलग, परिवेश है अलग
सभी में छुपा, राग-द्वेष है अलग
दृष्टि है अलग, दृष्टीकोण है अलग
समस्याओं का सभी पे षटकोण है अलग
इश्वर जहाँ का एक, पर धर्म है अलग
पंथ है अलग, मर्म-कर्म है अलग
मंजिल है अलग, है रास्ते अलग
दिल एक से, पर धडकनें अलग
प्रारंभ है अलग, है अंत है अलग
संसार का हर कोना-कोना, जीवंत है अलग
3 comments:
mein alag tu alag............humein chahne wale alag hum jisse chahe woh alag........sab alag alag alag
Sach he Boss.... Duniya Dikhne me he Alag aur asliyat me he Alag!!
Prakash.. tu hai sabse alag,keep it up man.
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