हर गाँव, हर शहर, संत-बाबा अलग है,
सफ़ेद-गेरू-काला , पहनावा अलग है
सभी का लक्ष्य प्रभु के करीब पहुँचाना
जुलूस-प्रदर्शन ढोंग-दिखावा अलग है
दुकानें अलग है, ग्राहक अलग है
अलग चेला-मंडली, व् चाहक अलग है
सभी की अपनी गुरु वाणी अलग है
सुबह संत-योगी, रात भोगी अलग है
प्रभु अलग है, नाम-ब्राण्ड अलग है
कथाएँ अलग है व् काण्ड अलग है
मंदिर-आश्रम-गाडी व् मकान अलग है
सियासत में सबके कदरदान अलग है
दान मांगने के सभी के आह्वान अलग है
प्रचार माध्यमो से बनी पहचान अलग है
न कर है इनपर, न सम्पति के पैमाने
काला से सफ़ेद धन बनाने के बहाने अलग है
हर गाँव, हर शहर, संत-बाबा अलग है...
4 comments:
ab lagne wali hai baba o ki vat
jai ram ji ki.............. asharam bapu ki pehle lagana
going gr8 Prakash...
जय हो,जय हो.
बहुत अच्छी लगी आपकी प्रस्तुति.
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