THEMES

LIFE (56) LOVE (29) IRONY (26) INSPIRATIONAL (10) FRIENDSHIP (7) NATURE (3)

Thursday, November 25, 2010

Heart With A Hypothesis...


My heart is with a hypothesis today 
Life is obliged with your graceful presence
O wow! what a splendid feel it is, 
My elite thoughts are live this day.

No abuse to the distance, no melancholy
Have received a world beyond with you  
Mesmerized and seductive I am;
Just want to be in this moment, Forever !!!


Tuesday, November 2, 2010

ख्याल - The HR Way








ख्यालों में तेरा Promotion कर दिया. 
न सोचा, न समझा Evaluation कर दिया

Dual Profile दी तुझे दोस्ती और प्यार की 
Responsibilities में सँभालने को Relation दे दिया 

प्यार का Lifetime Bond Sign करवाया है तुझसे, 
न Probabtion, न Training, सीधा Confirmation कर दिया 

प्यार जो संभाल के रखा था कई बरसों से
Arrears बना के Allocation कर दिया 

चाहते थे तुझको Retain करना बस इसलिए,
Parameters भुलाकर Appreciation कर दिया 

ख्यालों में तेरा Promotion कर दिया....

Thursday, October 7, 2010

ख्याल, तमन्ना, ख्वाब व् सपनें...



ख्याल, तमन्ना, ख्वाब व् सपनें 
कितने बेगानें, कितने अपने






बड़े करीबी से लगते ये 
आते अक्सर रोजाना 
पल भर में मंजिल पहुंचाए 
दूजे पल बदले ठिकाना


यूँ तो शब्द ये चार 
है मतलब अलग-अलग 
पर भाव इनमे एक से हैं 
मिलती जुलती है रग

नज़दीकियाँ इनसे भारी पड़ जाती
कभी हँसाती हमे 
कभी बेहद रुलाती
पर भूल के भी इनको दूर ना करना 
दूरियों से नहीं ये सच होने 

ख्याल, तमन्ना, ख्वाब व् सपनें... 

Tuesday, September 7, 2010

मुलाकात...


कभी कुछ पल हमारी-आपकी मुलाकात हो,
तनहा सी निगाहों के कुछ ताल्लुकात हो। 
कैद नजरों में आपको कर लूँ इस तरह, 
फिर जब चाहूँ, जहाँ चाहूँ आपका साथ हो। 

कि दिन भी न ढला हो, न हुई रात हो, 
फिजा आपसे महके, नर्म एहसास हो। 
कुछ हम बोलें, कुछ आपकी बात हो, 
और कुछ अनकहे से थोड़े संवाद हो ।

खुश आप हों, हम तो होंगे ही जरुर, 
लगे यूँ कि मानो कोई त्यौहार हो ।
उपहार में दे दूँ दिल मेरा आपको,  
आमने सामने भी कभी इजहार हो ।

रोक दूँ वक़्त के उन हर एक लम्हों को, 
बस आप हों, मैं हूँ, और प्यार ही प्यार हो । 
भुला दूँ ये दुनिया,सारी कायनात को, 
न जाने फिर भला कब ये इत्तेफाक हो ।

Image Courtesy: 1. Google, 2. Ms.Shambhavi Upadhyay

Friday, August 6, 2010

Darkness To Light...










Darkness all around...
Thoughts standstill, all hopes in ground.
No life, no faces; felt is just sound,
Some images to remember; memories unbound.

Days without working; no schedules to bound,
Spirits polluted; all energy drowned,
Gloomy is the sky; haziness all-around,
My name (Prakash) has become antonym, with situation surround.

In this negativity comes some positive sound,
With prays of loved one's spell bound,
A light of hope and motivation rebound,
Strengths and positivity to get a turnaround.


Message: Few days back, it was all dark to me, as had a severe problem in eye, then had a successful retinal surgery. 
The above poetry is dedicated to my doctor Dr.Jay Prakash Purohit, S.V Eye Hospital, Vadodara and my friends (in initials) KT, SJ, AR, MK, MD and others. 

Image: The image above is one of the image of my retina.

Sunday, June 13, 2010

कभी हमारे नज़रिए से...

कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो
ख्यालों कों अपने थोडा हिला-डुला कर देखो
इश्क आसान नहीं, है लगता जितना
खलबली धडकनों कि तुम भी आजमा के देखो

कि खूबसूरती तुम्हारी कितनी निखरती है
हमारे कहने से ही सही, जरा मुस्कुरा के देखो
भुला दो एक पल के लिए जहाँ का सब कुछ
उस एक पल में दिल को दिल से लगा के देखो

कि एहसास दूरियों का जो हो शायद
थोड़ी नजदीकियां बढा के देखो
कि बातें जो तुम्हे आज शायराना लगती है
कभी पंक्तियों को मेरी अपना के देखो

कभी हमारे नज़रिए से खुद को चाह कर देखो...

Thursday, June 3, 2010

ईश्वर बना है भ्रष्ट...

ईश्वर बना है भ्रष्ट, कैसे हैं दिन आये
आस्था, श्रध्धा, विश्वास सारे चढ़ावे में जाए
दीन बने और दीन, अमीरी कुछ को भरमाये
ईमान- उसूल वालों ने कब सुख के दिन पाये?

रोज हो रही दुर्घटनाएं, हादसे व् हिंसाएँ
क्या इनमे मरनेवालों ने न कि थी कभी पूजा-अर्चनाएं ?
कि मन्नतें उनकी क्यूँ नहीं पूरी हुई ?
या बोलियों में उनकी थी कमी थोड़ी रह गई ?

मेहनत-ईमानदारी-सज्जनता, आज न चलने पाये
धोखाधड़ी-तिकड़म- पैंतरे, सबको सफल बनाये
सच्चाई के रास्ते आज जो अपनाएं
पड़ा बैठ कोने में वो हरदम पछताए

इस कठिन माहोल ने सारे आदर्श भुलाये
नीतियां धरी रह गई, राजनीति सब अपनाए

ईश्वर बना है भ्रष्ट.....................

Tuesday, May 18, 2010

जब वो कहीं ...












जब वो कहीं निश्चिंत सो रहे होंगे
हम यहाँ उन्ही के सपनो में खो रहे होंगे
उन्होंने करवटें बदली होंगी
दृश्य हमारे यहाँ बदल रहे होंगे

कि कसकर तकिये को गले लगाया होगा
हमने यहाँ उनका आलिंगन पाया होगा
चद्दर  को खींचकर बदन पे फैलाया होगा
हमने खुद को उनके और भी करीब पाया होगा

सिकुड़कर धीरे से एक आह कि होगी
हमने हर सांस यहाँ उनपर फ़ना कि होगी
पुरा कमरा उनके तेज से चमक रहा होगा
मायूस दिल मेरा अंधेरों में धड़क रहा होगा

कि बिस्तर अपने नसीब पर इतरा रहा होगा

घर का हर एक कोना हमें खा रहा होगा 
महक उनकी ले फिजा खिल रही होगी
यहाँ अरमानों कि आंधियाँ चल रही होगी

कि रातें उनकी भी कभी तो तनहा होगी
हमारी तो बस यही तमन्ना होगी
कि सपने कभी उनके भी होंगे हमारे जैसे
'प्रकाश' क्या खूब वो सुहानी रात होगी ?
-

प्रकाश जैन
१५.७.१०

Saturday, May 8, 2010

अलग है अलग...

इंसा एक पर स्वभाव है अलग
सभी का अपना प्रभाव है अलग
नदी का हर जगह बहाव है अलग
कविता में पंक्तियों का भाव है अलग
पत्नी और प्रेमिका का प्यार है अलग
हर बच्चे से माँ-बाप का प्यार है अलग
वेश है अलग, परिवेश है अलग
सभी में छुपा, राग-द्वेष है अलग
दृष्टि है अलग, दृष्टीकोण है अलग
समस्याओं का सभी पे षटकोण है अलग
इश्वर जहाँ का एक, पर धर्म है अलग
पंथ है अलग, मर्म-कर्म है अलग 
मंजिल है अलग, है रास्ते अलग
दिल एक से, पर धडकनें अलग
प्रारंभ है अलग, है अंत है अलग
संसार का हर कोना-कोना, जीवंत है अलग

Thursday, May 6, 2010

जलते-जलते....

यूँही चले जाओगे कभी, चलते-चलते;
क्यूँ रहते हो सदा इसतरह, जलते-जलते
हर पल में खींचातानी,बेईमानी,धोखाधड़ी;
क्या इसी रास्ते ही हो तुम, फूलते-फलते ?

सिर्फ धन-सम्पति से कुछ नहीं हासिल होना;
सुख ख़रीदा नहीं जा सकता, रकम से
कोषते ही  रहते हो नसीब को हरदम;
जीते जा रहे हो मगर, मरते-मरते

मानते हो दुःख तुम पर ही है केवल
नज़रों को झुकाओ किसी कोने-रस्ते
'प्रकाश' आता ही है हर अँधेरे के बाद;
क्यूँ बहक जाते ही, बढ़ते-बढ़ते
-
प्रकाश जैन
४.५.१०

Saturday, May 1, 2010

संत-बाबा अलग है...



हर गाँव, हर शहर, संत-बाबा अलग है,
सफ़ेद-गेरू-काला , पहनावा अलग है
सभी का लक्ष्य प्रभु के करीब पहुँचाना
जुलूस-प्रदर्शन ढोंग-दिखावा अलग है 


दुकानें अलग है, ग्राहक अलग है
अलग चेला-मंडली, व् चाहक अलग है
सभी की अपनी गुरु वाणी अलग है
सुबह संत-योगी, रात भोगी अलग है 


प्रभु अलग है, नाम-ब्राण्ड अलग है
कथाएँ अलग है व् काण्ड अलग है
मंदिर-आश्रम-गाडी व् मकान अलग है
 सियासत में सबके कदरदान अलग है


दान मांगने के सभी के आह्वान अलग है
प्रचार माध्यमो से बनी पहचान अलग है
 न कर है इनपर, न सम्पति के पैमाने
काला से सफ़ेद धन बनाने के बहाने अलग है   

हर गाँव, हर शहर, संत-बाबा अलग है...

Thursday, April 15, 2010

Virtual जीवन...









जबसे आया है Computer जीवन में
Password protected हूवा जीवन है
कि Folder अलग है, File अलग है 
मिया-बीवी की Networking Profile अलग है

कि Chatting पे हँसना, उसपर ही रोना 
किसी को पास पाना, किसीसे दूर होना
कि Gaming बिना भी क्या जीवन है
Updates पे Comment करे हर जन है

कोई करे Download तो कोई Upload
Wi-Fi बनी दुनिया, क्या दफ्तर क्या रोड
कि Website बनाना बिज़नस का धर्म है
उसपर बढा-चढ़ा कर लिखावट का नियम है

कि नौकरी मिलती Job-Portal से, विज्ञापन  हुआ  पुराना
किसी भी कोने से ढूंढें किसीका भी ठिकाना
Blogging (चिट्ठाजगत) का एक अलग ही फ़साना है 
विचारों को रखना, प्रतिक्रिया पाना है

Online हुवे हम सब, हरदम है Mobile
दुःख भले हो जीवन में , पर Profile पर है Smile :-)
Virtual इस जीवन से खुश तन-मन-धन व् लगन है 
 कितना भी डूबे हो फिर भी लगता ये कम है....



Tuesday, April 6, 2010

Feelings...















Evokes up in the solitary light;
My feelings have a zoomy sight
Pleasant in the morning, blissful and bright
Midday's are calm with unexpressed delight
Evenings encouraging give intimate insight
And what should I tell you about the night
They cross all barriers and simply ignite
Alas! Its tough to understand my plight
Again comes morning, I charge up aright
With positive aspirants that someday truth this might !!!

Thursday, April 1, 2010

चूमा है तुझे...

गीत की फैली हुई शाखाओंमें चूमा है तुझे
दो गजलों के बीच के क्षणोंमें  चूमा है तुझे
सुबह में पर्वतों के पीछे,तो दोपहर झीलों में
साँझ ढले पंछियों के घोसलों में चूमा है तुझे
सच कहूँ तो ये गिनती यूँ ही नहीं पक्की
दो और दो होठों की जोड़ में चूमा है तुझे
काली रातों में छुप के गजलों की आड़ में
पाँच-दस पंक्तियों के उजाले में चूमा है तुझे
लोगों ने जहाँ न पैर रखने को कहा
उन्ही गलियों से गुजरते हुए चूमा है तुझे
पलकें मूंदो और खोलो  उन पलों में
जो देर बहुत लगे तो बीच में चूमा है तुझे

भावानुवाद-
प्रकाश
  • उपयुक्त कविता मूल गुजराती कवि श्री मुकुल चोकसी की कविता का मेरे द्वारा किया गया भावानुवाद है.

    Monday, March 8, 2010

    सुख का पता...













    सुख का पता कोई कह दो...
    जीवन के इक पन्ने पर इसका नक्शा कोई कह दो
    सुख का पता कोई कह दो...

    सबसे पहले ये समझाओ की निकलना है कहाँ से ?
    किस तरफ है आगे बढ़ना, मुड़ना है कहाँ से ?
    उसके घर का रंग है क्या, है छत कहाँ ये कह दो;

    सुख का पता कोई कह दो...

    चरण उठा दौडूँ साथ, खुलीं आँखें रख कह दो;
    छुपा अगर आकाश में हो तो, पंख फैलाऊं कह दो;
    मिलता जो हो सागर के बीच तो पतवार बहाऊं कह दो;
    सुख का पता कोई कह दो...

    कितने गाँव, जोजन, फलांग, कितना दूर है कह दो;
    इक डग मारूं या मारूं छलांग, कितना दूर है कह दो;
    मन और मृगजल के बीच का अंतर ये कह दो;
    सुख का पता कोई कह दो...
    प्रकाश  जैन 

    जरुरी टिपण्णी: 
    ऊपर कि कविता श्री श्यामल मुनशी द्वारा रचित गुजराती कविता "सुखनु सरनामु आपो...(સુખનું સરનામું આપો)  का मेरे द्वारा किया गया भावानुवाद प्रयास है. मूल गुजराती कविता कुछ इस तरह से है:

    સુખનું સરનામું આપો...
    જીવનના કોઈ એક પાના પર એનો નકશો છાપો;
    સુખનું સરનામું આપો...

    સૌથી પેહલા એ સમઝાઓ ક્યાંથી નીકળવાનું ?
    કઈ તર આગળ વધવાનું ને ક્યાં-ક્યાં વળવાનું ?
    એના ઘરનું રંગ કયો છે, ક્યાં છે એનો ઝાંપો ?

    સુખનું સરનામું આપો...


    ચરણ લઈને દોડું સાથે ખુલ્લી રાખું આંખોં;
    ક્યાંક છુપાયું હોય આભમાં તો ફૈલાવું પાંખો;
    મળતું હોય જો મધદરિયે તો વહેતો મુકું તરાપો;
    સુખનું સરનામું આપો...


    કેટલા ગાઉ, જોજન, ફલાંગ, કહો કેટલું દૂર;
    ડગ માંડું કે મારું છલાંગ, કહો કેટલું દૂર;
    મન અને મૃગજળ વચ્ચેનું અંતર કોઈ માપો;
    સુખનું સરનામું આપો...
    -
    શ્યામલ મુનશી 

    Thursday, March 4, 2010

    जीवन आतिशबाजी सा...



                                                

    जीवन आज आतिशबाजी सा होता जा रहा, 
    चमक रहा, भड़क रहा, ओझिल होता जा रहा


    रिश्तों में मिठास लुप्त हो चुकी कहीं, 
    हर कोई अपने ही स्वार्थ को सुलझा रहा 
    व्यापार में ईमानदारी नहीं देखने मिलती,
    प्रतियोगिता कर हर कोई प्रतिद्वंदता बढा रहा 
    राजनीती खेल कुर्सी का, पार्टियाँ सहारा,
    मिल-जुलकर नेता देश को खोखला बना रहा 
    भ्रष्टाचार व्यापक हुआ है आज हर तरफ, 
    'चोर-चोर मौसेरा भाई', एक दूजे को निभा रहा 
    समाज बना सुशिक्षित और समझदार पहले से बहुत, 
    पर कुछ निक्कमों कि वजह से बदनाम होता जा रहा 
    शांति के चाहक सभी करते भाईचारे कि बातें,
    फिर भी हिंसा-आतंक को कौन रोक पा रहा?
    इंसानियत दिखाने को करने पड़ रहे प्रदर्शन 
    मनुष्य क्यूँ आज इतना क्रूर होता जा रहा ?   

    जीवन आज आतिशबाजी सा होता जा रहा...
    -
    प्रकाश जैन 
    ४.३.१०

    Tuesday, February 16, 2010

    નજરાણું...


    તારા ગીતો તારી વાતો હરદમ વિસરાવું છું,
    ખબર નથી શું પામું છું ને શું ગુમાવું છું.

    લાગણીયો થી દૂર થવાનું ક્યારેક વિચારું છું,
    પણ શક્ય નથી બનતું ને હારી જાઉં છું.

    તને લાગતું હશે કે હું આટલું કેમ તને વખાણું છું,
    અરે! આ શબ્દો મારા બતાવે કે હું કેટલું તને જાણું છું.

    મન દર્પણ માં હરપળ હર ક્ષણ તુઝને જ માણું છું,
    તું મારા જીવન ને મળેલું એક અદભુત નજરાણું છું.

    લિ: 
    પ્રકાશ જૈન 
    ૧૩.૨.૧૦ 

    Wednesday, February 10, 2010

    प्यार




    प्यार को देखने के कई है प्रकार
    अलग-अलग दृष्टिकोण, अलग-अलग विचार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _

    सबसे पहले आता माँ का प्यार
    जिससे गहरी न कोई गहराई, न ऊची कोई मिनार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    फिर आता पिताजी का प्यार
    जिनका खून दौड़ता रगों में, जिनसे मिलती सुख-सुविधा अपार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    फिर आता भाई - बहन का प्यार
    जिसका प्रतिक माना जाता रक्षाबंधन का त्यौहार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    यू तो कम पाया जाता भाईयों में प्यार
    पर इनमें भी होता है मोह और स्नेह अपार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    फिर आता दादा-दादी का प्यार
    जिसमे होती ममता, करुणा और लाड़-प्यार की बरसात
    कहा है यूँ जाता कि "मूल से ज्यादा प्यारा होता ब्याज"
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _

    फिर आता देवर-भाभी या भाभी-ननंद का प्यार
    जिसमे होती थोड़ी शरारत, थोड़ी छेड़छाड़
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    फिर आता पति-पत्त्नी का प्यार
    समझ, सुझबुझ और सम्मान के साथ प्यार
    ये बनाते दीर्घ जीवन - व्यवहार
    चाहे आये सुनामी, या भूकंप या बाढ
    ये देते सबको अपने प्यार से पछाड़
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _

    आइए अब जाने प्रेमी-प्रेमिका का प्यार
    जिसमे होते नित नये आयाम
    बहुत सारे वादे, चंद होते साकार
    पर प्रेम हो सच्चा, तो बदलता जीवन-व्यवहार
    अन्यथा हर दिन लगती जिन्दगी एक भार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _

    कृष्ण थे एक थी गोपियाँ हजार
    पर आज कि न ये स्थिति, न य़ू लगी कतार
    इसलिए समझिए मेरे दोस्त, मेरे यार
    किसी एक को चुनिये, किजिए केन्द्रित विचार
    अन्यथा होगी बीमारियाँ, व् समस्याएं अपार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    इस तरह प्यार से ही जीवन
    प्यार से ही हर रिश्ता-व्यवहार
    प्यार का न किजिए तिरस्कार
    क्योंकि इसके बिना तो है जीवन निराधार
    प्यार को _ _ _ _ _ _ _
    -
    प्रकाश जैन

    Friday, February 5, 2010

    " I " lest I should succeed ?...."मैं" कदाचित सफल हो पाऊ ?



    May all your pleasures achieve their own end
    As soon as you hold your right hand with your right hand
    Oh ! my creative impulse
    Sure I am not of my tomorrow,
    But I guarantee to hate you
    Only when you finish the counting of stars.
    Wish to write a single line on you " I "
    Waiting for the Eighth day of a week
    Still continue to attempt till the age of my life
    " I " lest I should succeed ?

    By:
    Dharmesh Solanki

    About Poet and Poetry:
    This one is written by my friend and graduation batch mate Mr. Dharmesh Solanki who is a visually challenged but a versatile personality. This one is his dedication to one of our teachers. The same has been translated by me as a first attempt in poetry translation.


    हिंदी अनुवाद
    संभव हो कि आपकी सभी खुशीयों का अंत हो
    जैसे ही आप अपने दाहिने हाथ को दाहिने हाथ से थामे
    ओ ! मुझे रचनेवाली प्रेरणा
    जरुरी ही मै अपने कल का नहीं,
    लेकिन मेरा वादा है तुझसे नफरत करूँगा
    तभी जब तुम तारो की गिनती पूर्ण करो
    चाहता हू कि लिखू एक एकल पंक्ति तुम पर
    मै इंतजार में हू सप्ताह के आठवे दिन का
    अभी भी लगातार प्रयत्नशील हूँ,
    मेरे उम्र के तकाजे से "मैं"
    कदाचित सफल हो पाऊ ?

    अनुवाद-
    प्रकाश जैन


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