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Wednesday, October 21, 2009

वाह बेमिशाल !!

















आज अचानक ही मन में आया ये ख्याल

चलो करें कुछ ऐसा कि हो जायें निहाल
क्या करें, कैसे करें, ये उठ रहे सवाल ?
दिल-दिमाग में हो रही है कुश्ती, हाल है बेहाल

संगीतमय करें कुछ, जहाँ साज़ हो, सुर-ताल
धुन बने अनोखी, ग़ज़ल भी हो कमाल
स्वरबद्ध करें ह्रदय से, संगत में हो करताल
कि सुननेवाले कह उठें, वाह बेमिशाल !!

लिखें कोई कविता, उमदा हो ख्याल
व्यंग हो करार, करे असर तत्काल
भाव हो अंतः का, जीवन पे हो प्रकाश
कि पढने वाले कह उठें, वाह बेमिशाल !!

1 comments:

kamaalnivato said...

Good One................Love you bhai....thank you.........Darling....

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