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Saturday, October 31, 2009

काला घोड़ा - Dedicated to All Barodians















उन्होंने कहा - कि हर चौक पर
नाम रखे इन्सां - भगवान के
बेचारे जानवरों के लिए कुछ नहीं छोडा ?
हमने कहा - आइये बडोदा में
दिखलायें आपको काला घोड़ा

यह ऐसा है घोड़ा जिस पर बैठे हैं
महाराजा सयाजीराव ताने सीना चौडा
पर ये भी है विडम्बना,
कि इसने उन्ही के नाम को पीछे है छोडा

इसने सीधे रस्ते को है दो दिशाओं में मोडा
और इसके आसपास अकस्मातों ने
न जाने कितने निर्दोषों का सिर है फोड़ा

भई ! ये है बड़ा निगौडा
इसे कहते हैं सभी काला घोड़ा


Few Words on Kala Ghoda, Vadodara

Kala Ghoda is situated near the front gate of Sayaji Baug in Vadodara, Gujarat. It is a vigorous bronze statue of Maharaja Sayajirao III seated on the horse back. This statue was raised by the admirers of the king in commemoration of his silver jubilee in 1907. The English artist F Derewett Wood was the architecture who constructed the Kala Ghoda.

Few Words on Poetry:
This was my first poetry written with fun which later was identified as irony (vyang). This poetry made me win the first prize at university level (M.S University, Vadodara) under the category of "My Own Poetry", where participant recite self written poetry. .

Friday, October 30, 2009

कुछ बातों को


कुछ बातों को जिंदा ही दफना दिया जाता है,
हकीक़त पर पर्दा गिरा दिया जाता है
जीवन के सफ़र में हररोज़ होते हैं हादसे
नाम कुछ का इन्ही में से मिटा दिया जाता है

कुछ लोग होते हैं जो जान जाते हैं राज़ सारे

जिनके आगे हर ताला खुल जाता है
ज़िन्दगी एक जाम करें इन दोस्तों के नाम
इनके होने से जीने का मज़ा आता है

Monday, October 26, 2009

इस फलक से.........

इस फलक से उस फलक तक ज़िन्दगी अजीब है
पल में गम हैं, पल में खुशियाँ, महफिलें लजीज हैं
इस फलक से.........

बिखरें सपने इस तरह से, आँखों में नमी सी है
छाया है रिश्तों में कोहरा, विरानियाँ अज़ीज़ है
इस फलक से.........

क्यां कहें, कैसे कहें, दिल कि ये हालत किसको खबर
कुछ नहीं गम ही सही , अब हमें नसीब है
इस फलक से.........

ढूंढ़तें हैं हम अपनी चाहत मयखानों में दर-बदर
इश्क में डूबें हैं जबसे, हम बनें मरीज़ हैं
इस फलक से.........

लि:
कमाल - प्रकाश

About Poetry:

This one is very special one for me. For the first time I and my dear friend Kamaal Trivedi have tried to pen down together and more to add he has composed and has given voice to the writing .
So this is a start to duo Kamaal - Prakash, lets see how we progress....

Wednesday, October 21, 2009

वाह बेमिशाल !!

















आज अचानक ही मन में आया ये ख्याल

चलो करें कुछ ऐसा कि हो जायें निहाल
क्या करें, कैसे करें, ये उठ रहे सवाल ?
दिल-दिमाग में हो रही है कुश्ती, हाल है बेहाल

संगीतमय करें कुछ, जहाँ साज़ हो, सुर-ताल
धुन बने अनोखी, ग़ज़ल भी हो कमाल
स्वरबद्ध करें ह्रदय से, संगत में हो करताल
कि सुननेवाले कह उठें, वाह बेमिशाल !!

लिखें कोई कविता, उमदा हो ख्याल
व्यंग हो करार, करे असर तत्काल
भाव हो अंतः का, जीवन पे हो प्रकाश
कि पढने वाले कह उठें, वाह बेमिशाल !!

Wednesday, October 7, 2009

आसान नहीं...


हर चाह को पाना, आसान नहीं,
गम में मुस्कुराना, आसान नहीं
सफलता के रास्ते टेढ़े-मेडे बड़े
सही रास्ता पाना, आसान नहीं
जिन्हें प्यार किया हो दिल से
उन्हें कभी भी भुल पाना , आसान नहीं
शब्द जुड़ते हैं बनती है सरगम
बिना सरगम के गाना, आसान नहीं
खुशनुमा हादसे भी होते हैं जीवन में कभी
हादसों को पुनः दोहराना, आसान नहीं
सलाह- सीख दे सकता है हर कोई
पर उन्हें खुद अपनाना, आसान नहीं
हो लाख समझदारियां हममे भले
स्वयं को समझाना, आसान नहीं
आजमा लेते हैं दूसरों को हरदम
खुद को आजमाना, आसान नहीं
विचारों के संयोजन से बनती है कविताएँ
पर हमेशा एक से विचार पाना, आसान नहीं

-प्रकाश जैन
लि: ०७.१०.२००९
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