जीवन हर क्षण क्यूँ इतनी परीक्षाएं?
व्यर्थ ही क्यूँ देनी पड़ती इतनी समीक्षाएं?
लाख कोशिशों के बावजूद,
क्यं कभी-कभी ही मिलती सफलताएं ?
सीख और ज्ञान बाँट रहा है हर कोई,
पर क्या जरुरी है उसे हम अपनाएं ?
जानते व् मानते हैं खुद को चतुर
पर क्यूँ न समझे कोई हमारी विशेषताएं ?
लोगों में प्रसन्न रहना तो है एक दिखावा
गम छुपा है कितना , क्या बोलें - क्या बतलाएं ?
तजुर्बे-जिंदगी-गम झेलकर हुआ है ऐसा
कि सोचतें हैं चलो फिर से आजमायें
जीवन हर क्षण क्यूँ इतनी परीक्षाएं?
व्यर्थ ही क्यूँ देनी पड़ती इतनी समीक्षाएं?
1 comments:
Good one
Absolutely creative
Keep it up.....
Kiritsinh Gohil
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