
आज फिर सपनो में कोई आया है
आज फिर यादों ने अपनापन जताया है
ये कैसा है नाटक, किसने पर्दा उठाया है?
नायक बने हैं हम, उन्हें नायिका बनाया है
आज फिर .............................. ......
उद्घोषक है मित्र जो है जाना पहचाना
और संगीत भी हमारे अपनों ने ही बजाय है
आज फिर .............................. ......
करना है अभिनय प्यार का, दृश्य है प्रणय का
ऐसा दिग्दर्शक ने बताया और समझाया है
आज फिर .............................. ......
कि किया हमने अभूतपूर्व अभिनय
क्यूंकि साथ जो उनका पाया है
आज फिर .............................. ......
अरे ये क्या ? ये किस कमबख्त ने पर्दा उठाया है ?
ये था एक नाटक ऐसा हमें आभास कराया है
आज फिर .............................. ......
ये कैसा है नाटक, किसने पर्दा उठाया है?
नायक बने हैं हम, उन्हें नायिका बनाया है
आज फिर ..............................
उद्घोषक है मित्र जो है जाना पहचाना
और संगीत भी हमारे अपनों ने ही बजाय है
आज फिर ..............................
करना है अभिनय प्यार का, दृश्य है प्रणय का
ऐसा दिग्दर्शक ने बताया और समझाया है
आज फिर ..............................
कि किया हमने अभूतपूर्व अभिनय
क्यूंकि साथ जो उनका पाया है
आज फिर ..............................
अरे ये क्या ? ये किस कमबख्त ने पर्दा उठाया है ?
ये था एक नाटक ऐसा हमें आभास कराया है
आज फिर ..............................
5 comments:
अच्छा है :)
sundar.....
कल 18/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
बढियां है ..
bahut khoob.
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