THEMES

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Saturday, August 29, 2009

आज फिर सपनो में













आज फिर सपनो में कोई आया है
आज फिर यादों ने अपनापन जताया है

ये कैसा है नाटक, किसने पर्दा उठाया है?
नायक बने हैं हम, उन्हें नायिका बनाया है
आज फिर ....................................

उद्घोषक है मित्र जो है जाना पहचाना
और संगीत भी हमारे अपनों ने ही बजाय है
आज फिर ....................................

करना है अभिनय प्यार का, दृश्य है प्रणय का
ऐसा दिग्दर्शक ने बताया और समझाया है
आज फिर ....................................

कि किया हमने अभूतपूर्व अभिनय
क्यूंकि साथ जो उनका पाया है
आज फिर ....................................

अरे ये क्या ? ये किस कमबख्त ने पर्दा उठाया है ?
ये था एक नाटक ऐसा हमें आभास कराया है
आज फिर ....................................

Monday, August 3, 2009

ख्यालों में......

ख्यालों में वो आये तो बड़ी गफलत होगी
और उन्हें भी जो हम याद आये तो रौनक होगी

ये ख्यालों ने भी की कितनी मेहनत होगी
कहीं यूँ तो नहीं?, कि उन्हें हमारी जरुरत होगी
चलो ! कहीं शांत कोने में बैठ जायें
कि ख्यालों को आने में सहूलियत होगी
पूछे ख्यालों से खैरियत उनकी
कि यूँ अचानक आने की कुछ तो वजह रही होगी??
कि बढाएं पहचान ख्यालों से
या फिर दे दें रिशवत, कि आये रोजाना
क्यूंकि हमें तो उनकी हररोज़ जरुरत होगी
कि कब थमेगा ये ख्यालों का सिलसिला
और कब हमारी शाम हसीं होगी ???
कि जाने कब हमें मोहब्बत होगी.......???
-
प्रकाश जैन
१८.७.०९
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