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Friday, July 17, 2009

चिंता नोट कमाने की


हर इंसान को चिंता है आज, नोट कमाने की
मंशा रखता है हर कोई, रातो-रात अरबपती बन जाने की
हर इंसान को....................

रिश्ते-नाते, संबंधी-समाज,
सब में लगी है होड़, एक-दूसरे को आजमाने की
हर इंसान में व्याप्त है ये तृष्णा,
आशा करता जिसे जल्द से जल्द मिटाने की
हर इंसान को....................

इसी के कारण है चोरी-लूट व् अत्याचार
और यही है कारण, गुनाहों के बढ़ जाने की
बच्चे हो, बुढे हो, या हो युवा
सबकी आकांशा है बस, जेब छलकाने की
हर इंसान को....................

क्यों, कितना और कैसे कमाना ?
ये नही है चिंता का विषय आज ,
क्योंकि ये तो है एक हवस, अब पुरे ज़माने की
हर इंसान को....................

नोटों के लालच ने सबको अँधा बना दिया
प्रेम-दया, धर्म-समाज, सबको सबने भुला दिया,
अरे ! अब तो जरुरत है
इस लालच के खिलाफ, एक जनजागृति फैलाने की
हर इंसान को....................

Wednesday, July 8, 2009

महंगाई का अटैक

महंगाई का अटैक
हर किसी को आज कल है रहा अटैक
महंगाई का अटैक, कम कमाई का अटैक
घर चलाने में रहा लुगाई को अटैक
बच्चों को पढ़ाई में रहा अटैक
महंगाई का ............
शिक्षित युवाओं को रहा बेरोज़गारी का अटैक
अशिक्षितों को जीवन ही दिला रहा अटैक
महंगाई का ............
चुनावों के नतीजे दिला रहे नेताओं को अटैक
पिट रही है फिल्मे रहे कलाकारों को अटैक
महंगाई का ............
जगह-जगह हो रही हिंसा, बढ़ गए अत्याचार अनेक
माओवादियों के अटैक, आतंकवादियों के अटैक
महंगाई का ............
अमीरों को अमीरी ही दिला रही अटैक
गरीबो को गरीबी से रहा अटैक
महंगाई का ............
चारों तरफ़ छाया है भ्रष्ट विवेक
कोई है सच्चा, ही कोई नेक
महंगाई का ............
एक दूजे से जलन, समस्याएँ अनेक
हर कोई है क्रोधी, छाया है अतिरेक
महंगाई का ............
नई-नई बीमारियाँ से रहे अटैक
संयम, समता, और कारण है अनेक
महंगाई का ............

-
प्रकाश जैन
--२००९


Thursday, July 2, 2009

जीवन एक चुनौती...


जीवन एक चुनौती

जीवन एक चुनौती, जो हमने स्वीकारी है
दुःख, मुश्किल, चिंता से कौन डरे,हम तो उनके आभारी हैं
जीवन एक चुनौती...........

" सुख आनंद है पल भर का ,दुःख निशदिन सहचारी है"
ये वो हैं कहते जिन्होंने डर कर हिम्मत हारी है

जीवन एक चुनौती.................

"हर जन हर पल खुद को कोषे, दुःख मुझ पर ही क्यूँ हावी है???"
ढूंढ रहा जग बैठे बैठे दुःख के ताले की चाबी है
जीवन एक चुनौती.............

लालच, स्वार्थ,घमंड-अशन्तुष्टि, ये सब बालाएं भारी है
सब जानकर भी इनको अपनाते हम कितने अत्याचारी हैं
जीवन एक चुनौती................

मेहनत्त, संयम,निस्वार्थ भावना,जिस-जिस ने स्वीकारी है
प्रेम-सहज बन जाता जीवन, दुःख को होती लाचारी है

जीवन एक चुनौती, जो हमने स्वीकारी है
दुःख, मुश्किल, चिंता से कौन डरे,हम तो उनके आभारी हैं......
जीवन एक चुनौती..................

-प्रकाश जैन
०७-०२-२००९
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