
हर इंसान को चिंता है आज, नोट कमाने की
मंशा रखता है हर कोई, रातो-रात अरबपती बन जाने की
हर इंसान को....................
रिश्ते-नाते, संबंधी-समाज,
सब में लगी है होड़, एक-दूसरे को आजमाने की
हर इंसान में व्याप्त है ये तृष्णा,
आशा करता जिसे जल्द से जल्द मिटाने की
हर इंसान को....................
इसी के कारण है चोरी-लूट व् अत्याचार
और यही है कारण, गुनाहों के बढ़ जाने की
बच्चे हो, बुढे हो, या हो युवा
सबकी आकांशा है बस, जेब छलकाने की
हर इंसान को....................
क्यों, कितना और कैसे कमाना ?
ये नही है चिंता का विषय आज ,
क्योंकि ये तो है एक हवस, अब पुरे ज़माने की
हर इंसान को....................
नोटों के लालच ने सबको अँधा बना दिया
प्रेम-दया, धर्म-समाज, सबको सबने भुला दिया,
अरे ! अब तो जरुरत है
इस लालच के खिलाफ, एक जनजागृति फैलाने की
हर इंसान को....................