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Friday, June 26, 2009

परिवर्तन

कहते हैं हो रहा परिवर्तन, हो रहा परिवर्तन


आज जब देश के नेताओं में ही नहीं मिट पा रहा कुर्सी का ललकपन
वे कर चुके हैं अपने जीवन को देश लूटने में अर्पण
कहते हैं हो रहा परिवर्तन...

मजहब के नाम पे बंध की जा रही ना जाने कितने दिलों की धड़कन
और उधर नए तौर-तरीकों से भर रहे नेता,
अपने घर की तिजोरी, लॉकर और बर्तन
कहते हैं हो रहा परिवर्तन...

सोने की चिडिया से लूट कर बना दिया देश को खाली दर्पण
नहीं है इन पर किसीका नियंत्रण, सबका मिला इन्हें समर्थन
कहते हैं हो रहा परिवर्तन...

गरीबी, बेरोज़गारी और बढ़ती महंगाई ने बदला आम आदमी का वर्तन
सब प्यासे बन बैठे हैं इक दूजे के खून के, नेताओं का होता मनोरंजन
कहते हैं हो रहा परिवर्तन... 

जब तक ना होगा किसी नेता के मन में, राष्ट्र के प्रति सच्चा समर्पण
तब तक मेरी मानिये, नहीं हो सकता राष्ट्र का परिवर्तन 

कहते हैं हो रहा परिवर्तन...
-प्रकाश जैन


6 comments:

ओम आर्य said...

yahi sab pariwartan bhoutik stara par ho raha hai ...............bahut hi satik kataksh............badhiya

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 15/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक चिंतन

G.N.SHAW said...

काश एइसे लोगों को न चुनते , न ही होता एसा परिवर्तन ! बधाई जैन जी !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर सार्थक रचना....
सादर....

आशा बिष्ट said...

bahut sundar..

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