पल पल हरपल जीवन इक हलचल,
चलता जा तू संभल-संभल कर.........
मन हर्षित कुछ पल , बेचैनी निश्चल
हर तरफ कोलाहल, हर मन में छल
चलता जा तू .........
सपने अरमानों के भंवर में
तू अपना लक्ष्य चयन कर
कठिन रास्ते, तकलीफों को सहकर
आगे बढ़ता जा तू डटकर
चलता जा तू .........
संयम, सत्य को अपना कर
तू निशदिन आगे बढ़ चल चलता जा तू संभल-संभल कर.........
मन हर्षित कुछ पल , बेचैनी निश्चल
हर तरफ कोलाहल, हर मन में छल
चलता जा तू .........
सपने अरमानों के भंवर में
तू अपना लक्ष्य चयन कर
कठिन रास्ते, तकलीफों को सहकर
आगे बढ़ता जा तू डटकर
चलता जा तू .........
संयम, सत्य को अपना कर
दृढ निष्ठा, सच्ची सोच के बलपर
दुःख मुश्किलें सब जायेगी टल
चलता जा तू .........
काँटों में रह, फूलों सा खिलकर
महका ले हर पल को हँसकर
जीवन एक महफिल है प्यारे
जीले इसको तू जमकर
चलता जा तू संभल-संभल कर.........
-प्रकाश जैन
लि: ०५.०४.२००९
दुःख मुश्किलें सब जायेगी टल
चलता जा तू .........
काँटों में रह, फूलों सा खिलकर
महका ले हर पल को हँसकर
जीवन एक महफिल है प्यारे
जीले इसको तू जमकर
चलता जा तू संभल-संभल कर.........
-प्रकाश जैन
लि: ०५.०४.२००९
6 comments:
bahut khoob
BADHAI !
स्वागत है। अच्छी सँभाली हुई रचना। इस तरह दो ढाई महीने न रखें, पोस्ट कर डालें।
बहुत अच्छी रचना है आपकी
well.narayan narayan
बहुत अच्छी रचना है आपकी
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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